नई दिल्ली, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। आज की भागदौड़ भरी और व्यस्त जिंदगी में खुद के लिए समय निकालना आसान नहीं है। ऐसे में खाना खाना हो या अन्य कोई काम हड़बड़ाकर या जल्दबाजी में होना लाजमी है। हालांकि, यह बहुत बड़ी समस्या की वजह बन सकती है। जी हां, बात हो रही है पेट में बनने वाली गैस की, जिसे सौ समस्याओं की एक वजह कहा जा सकता है।
आज के समय में पेट में गैस बनना एक आम समस्या हो गई है। कई लोग इसे साधारण समझकर अनदेखा कर देते हैं, लेकिन यह पाचन तंत्र की गड़बड़ी और गलत जीवनशैली का संकेत हो सकता है। जब भोजन ठीक से नहीं पचता तो आंतों में किण्वन से कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन और मीथेन जैसी गैसें बनती हैं, जिससे पेट फूलना, भारीपन और दर्द होता है।
पेट में गैस के मुख्य कारणों में तैलीय, मसालेदार और फास्ट फूड का ज्यादा सेवन; जल्दबाजी में बिना चबाए खाना, जिससे हवा निगल जाती है और आयुर्वेद के अनुसार कमजोर जठराग्नि (पाचन शक्ति), तनाव, चिंता और अनियमित दिनचर्या शामिल हैं। साथ ही दालें, सोडा वाले पेय और देर रात सोना भी मुख्य वजह हैं।
आयुर्वेद में वात से निजात पाने के कई उपाय सुझाए गए हैं। इनमें अजवाइन और काला नमक गुनगुने पानी के साथ लें, गैस तुरंत कम होती है। अदरक का टुकड़ा चबाएं, इससे पाचन मजबूत होता है। भोजन के बाद सौंफ चबाएं या पानी पिएं, गैस की समस्या दूर होती है। हींग को पानी में घोलकर पिएं या पेट पर मलें। गुनगुने पानी में नींबू मिलाकर पिएं। रात को सोने से पहले त्रिफला चूर्ण लें, कब्ज और गैस कम होती है।
आयुर्वेद में सही जीवनशैली या दिनचर्या को सौ समस्याओं की काट बताया गया है। समय पर धीरे-धीरे चबाकर खाना खाएं, भोजन के बाद न लेटें, वॉक करें, और पवनमुक्तासन और वज्रासन जैसे योगासन और प्राणायाम करें। तनाव कम करें। खास बात है कि नींद की कमी से भी यह समस्या होती है। आयुर्वेद में इसे अधोवायु विकार कहते हैं। लगातार समस्या लिवर-पैनक्रियाज को प्रभावित कर सकती है।
बच्चों-बुजुर्गों में ज्यादा आम है। मेथी पानी, पेपरमिंट ऑयल और पेट मालिश भी मददगार हैं। संतुलित आहार, अच्छी आदतें और घरेलू नुस्खे अपनाकर इसे आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। हालांकि, सेवन से पहले वैद्य से सलाह जरूर लें।
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