विश्व आघात दिवस : न हो नुकसान, पहले ही समझ लें क्यों मनाया जाता है यह दिवस

विश्व आघात दिवस: आघात से न हो नुकसान, पहले ही समझ लें क्यों मनाया जाता है विश्व आघात दिवस

नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)। जिंदगी में कब क्या हो जाए, कहा नहीं जा सकता। किसी के साथ हुई छोटी सी घटना भी उसके पूरे जीवन को प्रभावित कर सकती है। चाहे वो सड़क पर लगी शारीरिक चोट हो या किसी को दुर्व्यवहार से पहुंचा मानसिक आघात।

मानसिक आघात से पहुंची क्षति से उबरने में सालों लग जाते हैं। ऐसी परिस्थितियों से बचने के लिए और लोगों के बीच इन परेशानियों को लेकर जागरूकता पैदा करने के लिए विश्व आघात दिवस मनाया जाता है।

विश्व भर में शुक्रवार को विश्व आघात दिवस मनाया जाएगा, जिसका मुख्य उद्देश्य लोगों के बीच आघात पीड़ितों का समर्थन करना, उनकी मदद करना और शारीरिक और मानसिक किसी भी दर्दनाक घटना से बचने के उपायों पर जोर देना है।

इस दिवस के जरिए लोगों को शिक्षित किया जाता है कि कैसे वे दूसरे लोगों को किसी भी तरह के आघात से बचने में मदद कर सकते हैं। ये बात जानकर आपको हैरानी होगी कि विश्व भर में 45 की उम्र से कम से कम 9 फीसदी लोगों की जान आघातजन्य चोटों की वजह से जाती है।

इस दिवस पर लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलाया जाता है कि आघात क्या होता है और इससे बचने के लिए क्या किया जा सकता है। किसी को भी आघात से बचाने के लिए आसपास के लोगों की अहम भूमिका होती है, जो उन्हें उस घातक परिस्थिति से निकालने में मदद कर सकते हैं।

इसके साथ ही जागरूकता अभियान में सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं पर अधिक जोर दिया गया है। सड़क पर होने वाले हादसों से लोग शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से प्रभावित होते हैं। ऐसे में सड़क पर हादसों की संख्या में कमी लाना भी जरूरी है।

आघात से बचने के लिए सही समय पर सही इलाज भी जरूरी है। लोगों के बीच जागरूकता की कमी की वजह से आघात से पीड़ित लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन सभी परिस्थितियों से निपटने के लिए विश्व भर में आघात दिवस मनाया जाता है। भारत में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं के मामले और मौतों की वजह से साल 2011 में पहला विश्व आघात दिवस दिल्ली में मनाया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं को रोकना था।

भारत के बाद अलग-अलग देशों में इस अभियान को प्राथमिकता दी गई। बांग्लादेश, नाइजीरिया, युगांडा, अल्जीरिया, मिस्र, वियतनाम समेत कई देशों में भी आघातिय चोटों से बचने के लिए अभियान चलाया जाता है।

--आईएएनएस

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