राजनीति के राजनाथ : गुरु से राजनेता तक का सफर, हर किरदार में शानदार

राजनीति के राजनाथ : गुरु से राजनेता तक का सफर, हर किरदार में शानदार

नई दिल्ली, 9 जुलाई (आईएएनएस)। भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक एवं वर्तमान में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज किसी पहचान के मोहताज नहीं। पार्टी के कई महत्वपूर्ण पदों पर उन्होंने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक छोटे से गांव में पैदा हुए राजनाथ सिंह ने प्रोफेसर से सियासत के गुरु बनने का तक का एक लंबा सफर तय किया, जो कई लोगों के लिए प्रेरणादायी है।

राजनाथ सिंह का जन्म 10 जुलाई, 1951 में एक राजपूत परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम राम बदन सिंह और माता का नाम गुजराती देवी था। एक साधारण कृषक परिवार में जन्मे राजनाथ सिंह आगे चलकर गोरखपुर विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में भौतिक शास्त्र में आचार्य की उपाधि प्राप्त की।1964 में संघ से जुड़े और इधर मिर्जापुर में भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हो गए। वर्ष 1972 में मिर्जापुर के शाखा कार्यवाह (महासचिव) भी बने और इसके दो साल बाद राजनीति में आ गए। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के एक छात्र कार्यकर्ता के रूप में अपनी राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले वाले राजनाथ आगे चलकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक बने।

राजनाथ सिंह 1977 में उत्तर प्रदेश विधानसभा में विधायक, 1988 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य और 1991 में उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री बने। उत्तर प्रदेश में शिक्षा मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने पाठ्यक्रम में नकल विरोधी अधिनियम और वैदिक गणित को शामिल करने और इतिहास की पाठ्यपुस्तकों के विभिन्न विकृत अंशों को सुधारने जैसे कई ऐतिहासिक निर्णय लिए।

मार्च 1997 में जब वे भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई के प्रदेश अध्यक्ष बने, तब पार्टी आधार का विस्तार करने और संगठन को मजबूत करने में उनके सराहनीय योगदान की खूब तारीफ हुई। पार्टी में उनके बढ़ते कद को इसी से पहचाना जा सकता है कि उन्होंने राजनीतिक संकट के दौरान दो बार भाजपा नीत सरकार को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अक्टूबर 2000 में, वह भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, इससे पहले, नवंबर 1999 में वह अटल सरकार में केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री बने। 2003 में वो अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में कृषि मंत्री बने। केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री के रूप में अपनी भूमिका में, उन्होंने एनएचडीपी (राष्ट्रीय राजमार्ग विकास कार्यक्रम) की शुरुआत की, जो तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का एक ड्रीम प्रोजेक्ट था। वहीं, केंद्रीय कृषि मंत्री और उसके बाद खाद्य प्रसंस्करण मंत्री के रूप में उन्होंने किसान कॉल सेंटर और कृषि आय बीमा योजना जैसी युगांतकारी परियोजनाओं का नेतृत्व किया।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और बाद में विभिन्न विभागों के साथ केंद्रीय मंत्री के रूप में अपनी भूमिका में, उन्होंने देश की लोकतांत्रिक इमारत को मजबूत करने के लिए काम किया और लोगों, विशेषकर समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों के कल्याण के लिए समर्पित थे।

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में, एक 'संगठन पुरुष' की सच्ची भावना के साथ, उन्होंने पार्टी को मजबूत करने और पार्टी की विचारधारा को जन-जन तक और देश के कोने-कोने तक पहुंचाने के लिए अथक प्रयास किया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में उन्होंने पूरे देश का भ्रमण किया। उन्होंने बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों और आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरों के मुद्दे को उठाते हुए कई राज्यों की यात्रा करते हुए भारत सुरक्षा यात्रा भी की।

उन्होंने आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों, किसानों की शिकायतों और यूपीए सरकार द्वारा अपनाए गए सनकी अल्पसंख्यकवाद जैसे जनहित के मुद्दों पर जोर दिया। 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय गृह मंत्री बने और 2019 और 2024 में उन्हें देश का रक्षा मंत्री बनाया गया।

राजनाथ सिंह ने राजनीतिक जीवन में 'विश्वसनीयता' की आवश्यकता पर जोर दिया। अपने कई भाषणों में, उन्होंने कहा है कि राजनेताओं की कथनी और करनी में अंतर के कारण देश की राजनीति 'विश्वसनीयता के संकट' का सामना कर रही है और इसे रोकने की आवश्यकता है।

राजनाथ सिंह बहस, विचार-विमर्श, आम सहमति और सहयोग को समृद्ध लोकतंत्र की आधारशिला मानते हैं। जब 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राष्ट्रीय आपातकाल लगाया, तो उन्होंने इसका कड़ा विरोध किया। 1975 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और दो साल तक हिरासत में रखा गया।

महिला सशक्तिकरण एक और मुद्दा है जो उनके दिल के करीब है। 2007 में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में उन्होंने पार्टी में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव रखा। देश के गृह मंत्री के रूप में, 2015 में उन्होंने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) सहित सभी अर्धसैनिक बलों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की।

--आईएएनएस

एससीएच