जमुई, 9 जुलाई (आईएएनएस)। बिहार के जमुई जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत सिकरिया गांव के महादलित टोले की रहने वाली ललिता देवी की कहानी प्रेरणा का स्रोत है। कभी गरीबी और अभावों से जूझने वाली ललिता की जिंदगी में सरकारी योजनाओं ने नई रोशनी लाई है।
पति की मृत्यु के बाद पांच बच्चों की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई थी। न तो पक्का मकान था और न ही स्थायी आय का साधन। कभी-कभार मिलने वाली मजदूरी से परिवार का गुजारा होता था, लेकिन वह भी आमदनी भी अनिश्चित थी।
जीविका समूह ने ललिता देवी को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि जीविका दीदियों के सहयोग से हमने एक छोटी-सी किराने की दुकान शुरू की, जितनी यहां से आमदनी होती है, उससे हम परिवार का पालन-पोषण करते हैं। शुरुआत में चुनौतियां थीं, लेकिन जीविका समूह से मिले प्रशिक्षण और आर्थिक सहायता ने हमें दुकान चलाने का आत्मविश्वास दिया। आज दुकान से हर महीने लगभग आठ हजार रुपये की आय हो रही है। इस आय से मैं न केवल अपने बच्चों का पालन-पोषण कर रही हूं, बल्कि उनकी पढ़ाई-लिखाई का खर्च भी उठा रही हूं। मैं दुकान चलाकर आत्मनिर्भर बनी हूं। मेरे बच्चे अब स्कूल जाते हैं और मैं उनके लिए बेहतर भविष्य का सपना देख सकती हूं।
उन्होंने आगे कहा कि पहले बारिश, गर्मी और सर्दी में बच्चों के साथ खुले आसमान के नीचे या झोपड़ी में दिन काटने पड़ते थे। भोजन और बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाना असंभव-सा लगता था। लेकिन केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं ने हमारी जिंदगी को बदल दिया। हमें केंद्र और राज्य सरकार की तमाम योजनाओं का लाभ मिला है। पीएम मोदी ने हम लोगों को घर देने का काम किया है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का मकान मिलने से परिवार को मौसम की मार नहीं झेलनी पड़ती है। अब हम अपने बच्चों के साथ गरिमा के साथ जीवन जी रहे हैं।
ललिता देवी भावुक होकर कहती हैं, “पहले तो सोचती थी कि जिंदगी बस ऐसे ही कट जाएगी। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास योजना और जीविका दीदियों की मदद से आज हम चैन से रह रहे हैं। अब बारिश में छत नहीं टपकती और बच्चों को भूखा नहीं सोना पड़ता। हम पीएम मोदी का धन्यवाद करेंगे और उनसे यह अपील करेंगे कि वो गरीब लोगों का ख्याल ऐसे हीं रखें।"
--आईएएनएस
एकेएस/जीकेटी