अयोध्या, 25 नवंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री मोदी श्री राम जन्मभूमि मंदिर में ‘ध्वजारोहण’ समारोह में हिस्सा लेने के लिए अयोध्या पहुंचे हैं। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री मोदी के अयोध्या आगमन पर उनका स्वागत किया।
अयोध्या पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फेसबुक पोस्ट में लिखा, "श्री राम जन्मभूमि मंदिर में ध्वजारोहण उत्सव में भाग लेने के लिए अयोध्या पहुंचा हूं।"
पीएम मोदी मंगलवार को दिल्ली से अयोध्या के महर्षि वाल्मीकि एयरपोर्ट पहुंचे। यहां से हेलीकॉप्टर के जरिए वे साकेत महाविद्यालय गए। इसके बाद उन्होंने ऐतिहासिक ध्वजारोहण समारोह से पहले अयोध्या में रोड शो किया है, जिसके जरिए वे राम मंदिर तक पहुंचेंगे।
इसी बीच, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "सप्तपुरियों में श्रेष्ठ श्री अयोध्या धाम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हार्दिक स्वागत और अभिनंदन।"
प्रधानमंत्री मोदी का यह अयोध्या दौरा आध्यात्मिक रूप से बेहद खास है। वे महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, महर्षि वाल्मीकि, देवी अहिल्या, निषादराज गुहा और माता शबरी मंदिर में शीश झुकाएंगे। इसके बाद वे शेषावतार मंदिर भी जाएंगे। सुबह करीब 11 बजे माता अन्नपूर्णा मंदिर भी जाएंगे। इसके बाद राम दरबार गर्भगृह में दर्शन-पूजन करेंगे।
प्रधानमंत्री दोपहर करीब 12 बजे श्री राम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर भगवा झंडा फहराएंगे। यह आयोजन मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की शुभ पंचमी पर श्रीराम और मां सीता की विवाह पंचमी के अभिजीत मुहूर्त के साथ होगा। 10 फीट ऊंचा और 20 फीट लंबा समकोण वाले तिकोने झंडे का आरोहण किया जाएगा। जिस पर भगवान श्री राम की प्रतिभा और वीरता का प्रतीक चमकते सूरज की तस्वीर है। इस पर कोविदारा पेड़ की तस्वीर के साथ 'ॐ' लिखा है। पवित्र भगवा झंडा रामराज्य के आदर्शों को दिखाते हुए गरिमा, एकता और सांस्कृतिक निरंतरता का संदेश देगा।
झंडा पारंपरिक उत्तर भारतीय नागर आर्किटेक्चरल स्टाइल में बने शिखर पर फहराया जाएगा, जबकि मंदिर के चारों ओर बना 800 मीटर का परकोटा मंदिर की आर्किटेक्चरल विविधता को दिखाता है। मंदिर परिसर में मुख्य मंदिर की बाहरी दीवारों पर वाल्मीकि रामायण पर आधारित भगवान श्री राम के जीवन से जुड़े 87 बारीकी से पत्थर पर उकेरे गए प्रसंग हैं। घेरे की दीवारों पर भारतीय संस्कृति से जुड़े 79 कांस्य-ढाल वाले प्रसंग रखे गए हैं।
--आईएएनएस
डीसीएच/