नई दिल्ली, 1 नवंबर (आईएएनएस)। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए सिंधु समझौता रद्द कर दिया। भारत का रुख साफ था कि खून और पानी साथ नहीं बहेंगे। सिंधु नदी बेसिन के पानी पर पाकिस्तान की निर्भरता काफी ज्यादा है। अब नई इकोलॉजिकल थ्रेट रिपोर्ट 2025 में दावा किया गया है कि पाकिस्तान भारी जल संकट का सामना कर रहा है।
ऑस्ट्रेलिया के थिंक-टैंक इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस की तरफ से यह रिपोर्ट जारी की गई है। इसमें दावा किया गया कि पाकिस्तान खेती के लिए 80 फीसदी सिंधु जल पर निर्भर है। ऐसे में जैसे ही भारत ने सिंधु जल समझौता रद्द कर पानी रोका, पाकिस्तान के लिए भारी परेशानी खड़ी हो गई।
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि पाकिस्तान अब केवल 30 दिनों का पानी स्टोर कर सकता है। पानी की किल्लत से पाकिस्तान के किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत पश्चिमी नदियों पर बांध बनाकर ज्यादा पानी नहीं रोक सकता। रन-ऑफ-द-रिवर प्रोजेक्ट के तहत इन बांधों पर पानी के प्रवाह को पूरी तरह से बंद नहीं किया जा सकता है। ऐसे में भारत को पानी का प्रवाह पूरी तरह से बंद करने के लिए कोई दूसरा उपाय अपनाना होगा।
रिपोर्ट में कहा गया कि सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियां भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण जलमार्ग हैं, जो पाकिस्तान के मामले में, उसकी कृषि के लिए आवश्यक अधिकांश जल की आपूर्ति करती हैं।
वहीं भारत पश्चिमी नदियों का उपयोग जलविद्युत उत्पादन, नौवहन और सीमित सिंचाई जैसी गैर-उपभोग संबंधी आवश्यकताओं के लिए कर सकता है, लेकिन सीमा से आगे उनके जल को मोड़ या संग्रहीत नहीं कर सकता।
बदले में, पाकिस्तान को पूर्वी नदियों के विशेष उपयोग की अनुमति भारत को देनी थी, जिसके लिए भारत द्वारा मोड़े जाने वाले पूर्वी नदियों के पानी की भरपाई के लिए पाकिस्तान की ओर नई नहरों और भंडारण का निर्माण करना आवश्यक था।
--आईएएनएस
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