उत्तर 24 परगना, 23 नवंबर (आईएएनएस)। देश में लागू हुईं श्रम संहिताओं को लेकर ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन के राष्ट्रीय महासचिव श्योप्रसाद तिवारी का कहना है कि श्रम संहिता में बदलाव कि लिए पहले भी कहा गया था। इसको लेकर बड़ी चर्चा हुई है। ये श्रमिकों के लिए बहुत जरूरी है। इसे पहले ही लागू हो जाना चाहिए था, हम उसका स्वागत करते हैं। इससे मजदूरों की दशा बदलने वाली है।
उन्होंने कहा कि मजदूरों को सुविधा क्यों नहीं? महिलाओं को रात की शिफ्ट में काम करने की इजाजत क्यों नहीं? लड़कियां पढ़ लिखकर ऊंचाइयों पर जा रही हैं तो उन्हें काम का अधिकार क्यों नहीं मिलना चाहिए? हम इस मुद्दे को सरकार के सामने उठाते रहे हैं। अब सरकार इसे लेकर आई है, हम सरकार के आभारी हैं।
सवाल- नए श्रम कानूनों में टाइम-बाउंड मिनिमम वेज की गारंटी को क्या आप प्रधानमंत्री मोदी की ऐतिहासिक पहल मानते हैं? क्या यह कदम मजदूरों के शोषण को खत्म करने की दिशा में देश में पहली बार इतना बड़ा बदलाव लाता है?
जवाब- यह भारत के श्रमिक इतिहास का बेहद जरूरी और ऐतिहासिक कदम है। यह पहले ही लागू हो जाना चाहिए था। हम इसका स्वागत करते हैं। इससे मजदूरों की जीवन-दशा बदलेगी और शोषण पर रोक लगेगी।
सवाल- महिलाओं के लिए बराबर सैलरी, लैंगिक भेदभाव खत्म करने और नाइट शिफ्ट की अनुमति देने जैसे प्रावधान, क्या आपको लगता है कि पीएम मोदी सरकार के ये सुधार कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को अभूतपूर्व तरीके से बढ़ाएंगे?
जवाब- बिल्कुल। दुनिया के विकसित देशों की तरह भारत में भी महिलाओं को बराबरी का अधिकार मिलना चाहिए। लड़कियां पढ़-लिख रही हैं, इंजीनियर बन रही हैं, पायलट बन रही हैं, ऐसे में बराबरी का भुगतान और नाइट शिफ्ट की अनुमति अत्यंत आवश्यक और स्वागतयोग्य बदलाव है।
सवाल- क्या 40 करोड़ से अधिक वर्कर्स को सोशल सिक्योरिटी के दायरे में लाने का फैसला प्रधानमंत्री मोदी की उस प्रतिबद्धता का प्रमाण है जिसमें वे देश के हर श्रमिक की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करना चाहते हैं?
जवाब- सरकार की नीयत साफ है। संगठित और असंगठित दोनों सेक्टर के लगभग 44 करोड़ मजदूरों को सोशल सिक्योरिटी के दायरे में लाने की कोशिश बहुत बड़ी पहल है। यह कदम निश्चित रूप से पीएम मोदी की श्रमिक हितों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
सवाल- ओवरटाइम पर डबल वेतन, 40 से अधिक उम्र वाले श्रमिकों के लिए फ्री हेल्थ चेक-अप क्या यह दिखाता है कि पीएम मोदी सरकार वर्कर्स की गरिमा और बेहतर जीवन को प्राथमिकता दे रही है?
जवाब- जी हां। यह बहुत सराहनीय कदम है। खासकर 40 की उम्र के बाद मुफ्त हेल्थ चेकअप और ओवरटाइम पर डबल पे श्रमिकों की गरिमा और सुरक्षा दोनों को मजबूत बनाते हैं। दुनिया में ऐसी सुविधाएं कम ही जगह मिलती हैं, लेकिन भारत ने यह बड़ा कदम उठाया है।
सवाल- नई श्रम संहिताओं को पीएम मोदी सरकार ने ‘वर्कर जस्टिस और वर्कर डिग्निटी के नए युग’ की शुरुआत बताया है। क्या आपको लगता है कि ये सुधार भारत को ग्लोबल लेबर स्टैंडर्ड्स के बराबर या उनसे आगे ले जाएंगे?
जवाब- निश्चित रूप से। ये परिवर्तन भारत के ‘वर्ल्ड ऑफ वर्क’ को पूरी तरह बदल देंगे। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और असंगठित क्षेत्र में बड़ा सुधार होगा। मुझे विश्वास है कि भारत अब ग्लोबल लेबर स्टैंडर्ड्स के समकक्ष ही नहीं, कई मामलों में उनसे आगे भी होगा।
--आईएएनएस
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