मुंबई, 27 नवंबर (आईएएनएस)। बॉलीवुड में कई सितारे ऐसे रहे हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और संघर्ष के दम पर पहचान बनाई, लेकिन कुछ कलाकार ऐसे भी हैं, जिनकी जिंदगी फिल्मों से ज्यादा भावनाओं और दर्द से भरी रही है। प्रतीक बब्बर भी इन्हीं नामों में से एक हैं। शानदार अभिनेता प्रतीक ने बचपन में अकेलेपन का दर्द झेला है।
उनकी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आए, ऐसा भी समय आया जब वह ड्रग्स की लत के शिकार बन चुके थे, लेकिन उन्होंने फिर से खुद को मजबूती के साथ खड़ा किया। उनके सफर में संघर्ष ज्यादा रहा है। उन्होंने अपनी मां स्मिता पाटिल को कभी नहीं देखा, लेकिन वह अपनी हर एक्टिंग में उनकी झलक दिखाने की कोशिश करते हैं।
प्रतीक बब्बर का जन्म 28 नवंबर 1986 को मुंबई में हुआ था। वह बॉलीवुड की दिग्गज अभिनेत्री स्मिता पाटिल और अभिनेता-नेता राज बब्बर के बेटे हैं। उनके जन्म के कुछ ही दिनों बाद उनकी मां स्मिता पाटिल का निधन हो गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्मिता को ब्रेन इंफेक्शन था, और उनके अंग एक-एक कर फेल होने लगे थे। मां के जाने के बाद उनकी परवरिश उनकी नानी-नाना ने की। लेकिन, प्रतीक को हर समय अपनी मां की कमी खलती थी।
मां का साया न होना और पिता की व्यस्तता ने उनके अंदर खालीपन छोड़ दिया था। इसी खालीपन ने उन्हें गलत राह की ओर धकेल दिया। प्रतीक ने एक इंटरव्यू में बताया कि वह 12 साल की उम्र में ड्रग्स लेने लगे थे। उस समय वह अपने पिता से नाराज रहते थे, क्योंकि उन्हें लगता था कि उनके पास उनके लिए समय नहीं था। यह दर्द इतना गहरा था कि वह धीरे-धीरे नशे में डूबते चले गए। उनकी हालत खराब होती गई और परिवार को उन्हें दो बार रिहैब सेंटर भेजना पड़ा।
प्रतीक ने खुद ही इंटरव्यू में बताया था कि वह उस दौर में लगभग मरने की कगार पर पहुंच गए थे। इसी तनाव में उनकी नानी, जो उन्हें पाल रही थीं, भी चल बसीं। यह उनके जीवन का सबसे दुखद समय था।
हालांकि, समय के साथ प्रतीक ने खुद को दोबारा संभाला। उन्होंने नशे की लत छोड़ी, जीवन को नए ढंग से जीना शुरू किया और एक्टिंग को अपने लिए नई दिशा बना लिया। उन्होंने करियर की शुरुआत विज्ञापनों से की। प्रह्लाद कक्कड़ के साथ प्रोडक्शन असिस्टेंट के रूप में काम करते हुए उन्होंने पहली बार कैमरे के पीछे का काम सीखा और धीरे-धीरे स्क्रीन पर दिखाई देने लगे। उन्होंने 2008 में फिल्म 'जाने तू या जाने ना' से बॉलीवुड में कदम रखा। इस फिल्म में उनका रोल छोटा था, लेकिन उनके किरदार ने दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींचा। इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर स्पेशल ज्यूरी अवॉर्ड भी मिला।
इसके बाद उन्होंने 'धोबी घाट', 'एक दीवाना था', 'दम मारो दम', 'आरक्षण', 'मुल्क', 'छिछोरे', 'बागी 2', और 'मुंबई सागा' जैसी फिल्मों में काम किया। अपनी हर फिल्म में उन्होंने नई तरह के किरदार निभाए। लेकिन, उनके करियर का सबसे भावुक पहलू एक्टिंग में मां की झलक दिखाने की कोशिश करना है।
प्रतीक ने एक अन्य इंटरव्यू में कहा कि वह हर सीन में अपनी मां स्मिता पाटिल को याद करते हैं। वह चाहते हैं कि उनकी एक्टिंग में मां वाली गहराई, मां वाला दर्द और मां वाली सच्चाई दिखे। उनका लक्ष्य सुपरस्टार बनना नहीं, बल्कि अपनी मां की विरासत को आगे बढ़ाना है। यही वजह है कि वह चुनौतीपूर्ण किरदार चुनते हैं, ऐसे किरदार जिनमें भावनाएं ज्यादा हों और जो उन्हें अपनी मां के करीब ले जाएं।
वर्तमान में प्रतीक बब्बर फिल्मों और वेब सीरीज दोनों में सक्रिय हैं। उन्होंने अपना सफर मुश्किलों से शुरू किया था, लेकिन अपने हौसले, मेहनत और मां के प्रति प्यार ने उन्हें वह कलाकार बना दिया है, जिसे लोग सिर्फ स्क्रीन पर नहीं, दिल से महसूस करते हैं।
--आईएएनएस
पीके/एबीएम