जीएसटी में बदलाव से सहकारी क्षेत्र और 10 करोड़ डेयरी किसानों को बढ़ावा मिलेगा : सरकार

जीएसटी में बदलाव से सहकारी क्षेत्र और 10 करोड़ डेयरी किसानों को बढ़ावा मिलेगा : सरकार

नई दिल्ली, 6 सितंबर (आईएएनएस)। सरकार ने शनिवार को कहा कि ऐतिहासिक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधार सहकारी क्षेत्र को मज़बूत करेंगे, उनके उत्पादों को प्रतिस्पर्धी बनाएंगे, उनके उत्पादों की मांग बढ़ाएंगे और सहकारी समितियों की आय में वृद्धि करेंगे।

केंद्र ने प्रमुख क्षेत्रों में जीएसटी में व्यापक कटौती की घोषणा की है जिसका सीधा प्रभाव सहकारी समितियों, किसानों और ग्रामीण उद्यमों पर पड़ेगा और देश के 10 करोड़ से ज़्यादा डेयरी किसानों को लाभ होगा।

ये सुधार ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देंगे, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में सहकारी समितियों को बढ़ावा देंगे और लाखों परिवारों के लिए आवश्यक वस्तुओं तक किफ़ायती पहुंच सुनिश्चित करेंगे।

सहकारिता मंत्रालय के अनुसार, जीएसटी दरों में कटौती से कृषि और पशुपालन क्षेत्र की सहकारी समितियों को लाभ होगा, टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा मिलेगा और छोटे किसानों व एफपीओ को लाभ होगा।

डेयरी क्षेत्र में, किसानों और उपभोक्ताओं को प्रत्यक्ष राहत प्रदान की गई है क्योंकि दूध और पनीर, चाहे ब्रांडेड हों या अनब्रांडेड, को जीएसटी से छूट दी गई है, जबकि मक्खन, घी और इसी तरह के उत्पादों पर कर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है, और लोहे, स्टील या एल्युमीनियम से बने दूध के डिब्बों पर भी जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है।

ये उपाय डेयरी उत्पादों को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएंगे, डेयरी किसानों को प्रत्यक्ष राहत प्रदान करेंगे, और महिलाओं द्वारा संचालित ग्रामीण उद्यमों, विशेष रूप से दूध प्रसंस्करण में लगे स्वयं सहायता समूहों को मजबूत करेंगे।

खाद्य प्रसंस्करण और घरेलू वस्तुओं में, पनीर, नमकीन, मक्खन और पास्ता पर जीएसटी 12 प्रतिशत या 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है, जबकि जैम, जेली, यीस्ट, भुजिया और फलों के गूदे या जूस-आधारित पेय पर अब 5 प्रतिशत कर लगाया गया है।

चॉकलेट, कॉर्नफ्लेक्स, आइसक्रीम, पेस्ट्री, केक, बिस्कुट और कॉफी की कीमतों में भी 18 प्रतिशत से 5 प्रतिशत तक की कमी आई है।

जीएसटी में कमी से खाद्य पदार्थों पर घरेलू खर्च कम होगा, अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मांग बढ़ेगी और खाद्य प्रसंस्करण एवं डेयरी सहकारी क्षेत्रों में वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। इससे खाद्य प्रसंस्करण, दुग्ध प्रसंस्करण सहकारी समितियों और निजी डेयरियों को और बढ़ावा मिलेगा, जिससे किसानों की आय बढ़ेगी।

इसके अतिरिक्त, पैकिंग पेपर, केस और क्रेट पर जीएसटी घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे सहकारी समितियों और खाद्य उत्पादकों के लिए रसद और पैकेजिंग लागत कम हो गई है।

1,800 सीसी से कम क्षमता वाले ट्रैक्टरों पर जीएसटी घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे ट्रैक्टर अधिक किफायती हो जाएंगे और न केवल किसान बल्कि पशुपालन और मिश्रित खेती करने वालों को भी लाभ होगा, क्योंकि इन ट्रैक्टरों का उपयोग चारा उगाने, चारे के परिवहन और कृषि उपज के अधिक कुशल प्रबंधन के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा, टायर और ट्यूब, हाइड्रोलिक पंप और कई अन्य पुर्जों जैसे ट्रैक्टर के पुर्जों पर भी जीएसटी 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे लागत और कम होगी और कृषि क्षेत्र की कई सहकारी समितियों को सीधा लाभ होगा।

अमोनिया, सल्फ्यूरिक एसिड और नाइट्रिक एसिड जैसे प्रमुख उर्वरक इनपुट पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे शुल्क ढांचा ठीक हो गया है, उर्वरक कंपनियों के लिए इनपुट लागत कम हो गई है, किसानों के लिए मूल्य वृद्धि को रोका जा सका है, और बुवाई के मौसम के दौरान किफायती उर्वरकों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित हुई है, जिससे कृषि क्षेत्र में कई सहकारी समितियों को सीधे लाभ होगा।

इसी प्रकार, 12 जैव-कीटनाशकों और कई सूक्ष्म पोषक तत्वों पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे जैव-आधारित इनपुट को और अधिक किफायती बनाकर पर्यावरण-अनुकूल और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा मिलेगा, किसानों को बेहतर मृदा स्वास्थ्य और फसल गुणवत्ता के लिए रसायनों से जैव-कीटनाशकों की ओर रुख करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे सरकार के प्राकृतिक कृषि मिशन के अनुरूप छोटे जैविक किसानों और एफपीओ को सीधा लाभ मिलेगा।

इस बदलाव से कृषि क्षेत्र की कई सहकारी समितियों को भी लाभ होगा।

ट्रकों और डिलीवरी वैन जैसे वाणिज्यिक मालवाहक वाहनों पर जीएसटी 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे ट्रकों की प्रारंभिक पूंजीगत लागत कम हो गई है, जो लगभग 65-70 प्रतिशत माल यातायात का वहन करके भारत की आपूर्ति श्रृंखला की रीढ़ हैं। इससे प्रति टन-किमी माल ढुलाई दरों में कमी आएगी और एक व्यापक प्रभाव पैदा होगा जिससे कृषि वस्तुओं की आवाजाही सस्ती होगी, रसद लागत में कमी आएगी और निर्यात प्रतिस्पर्धा में सुधार होगा।

--आईएएनएस

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