मुंबई, 22 नवंबर (आईएएनएस)। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने नवंबर में अब तक कुल 4,238 करोड़ रुपए के भारतीय शेयरों की बिकवाली की है। हालांकि, एफआईआई की निरंतर बिकवाली का यह ट्रेंड इस हफ्ते अधिकांश कारोबारी सत्रों में उन्हें खरीदार बनने के साथ बदलता नजर आया है।
नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड के डेटा के अनुसार, एफआईआई इस कैलेंडर ईयर में 1,44,148 करोड़ रुपए के शेयरों की बिकवाली के साथ अभी तक शुद्ध खरीदार बन कर उभरे हैं।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा, "एफआईआई एक्टिविटी को लेकर किसी तरह का कोई बड़ा बदलाव नहीं देखा गया है, जबकि एफआईआई ने अपनी निरंतर बड़ी बिकवालियों से हटकर नवंबर में कुछ दिन खरीदार बनकर उभरे।"
नवंबर में अभी तक प्राइमरी मार्केट के जरिए एफआईआई खरीदारी और बिकवाली का लॉन्ग-टर्म ट्रेंड 11,454 करोड़ के निवेश के साथ जारी है। एक्सचेंज के जरिए एफआईआई बिकवाली कैलेंडर ईयर 2025 में अब तक 2,09,444 करोड़ रुपए पहुंच चुकी है। वहीं, प्राइमरी मार्केट के लिए एफआईआई की खरीदारी का आंकड़ा 65,747 करोड़ रुपए दर्ज किया गया है।
एनालिस्ट का कहना है कि एआई ट्रेड के कम होने और इंडियन इक्विटी के लिए बेहतर होते दृष्टिकोण के साथ एफआईआई की बिकवाली में गिरावट देखे जाने का अनुमान है।
एआई ट्रेड से जुड़े मार्केट जैसे अमेरिका, चीन, ताइवान, साउथ कोरिया मार्केट की ओर एफआईआई का आकर्षण भारत में एफआईआई आउटफ्लो का एक बड़ा कारण रहा। हालांकि, हाल ही में नैस्डैक में शार्प करेक्शन खासकर एआई से जुड़े स्टॉक्स को लेकर देखा गया है, जिसने एआई स्टॉक्स को लेकर बबल चिंताओं को मजबूत कर दिया है। इसका भारतीय बाजारों को इसका लाभ मिल सकता है।
आगे के लिए भारत में कॉर्पोरेट अर्निंग तीसरी तिमाही के नतीजों के सीजन के साथ रफ्तार पकड़ सकती है और कैलेंडर ईयर 2026 में तेजी को बढ़ा सकती है, जो एआईआई की बिकवाली के ट्रेंड को बदल सकता है।
मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि निफ्टी के नए हाई स्तर को छूने की उम्मीदों और भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील भी एफआईआई को भारतीय बाजारों में वापस लाने को लेकर अहम होंगे।
--आईएएनएस
एसकेटी/