नई दिल्ली, 17 नवंबर (आईएएनएस)। केंद्र सरकार की ओर से सोमवार को दी गई जानकारी के अनुसार, डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम और डीपीडीपी नियम देश के लिए एक विश्वसनीय और फ्यूचर-रेडी डिजिटल एनवायरमेंट तैयार करने के क्रम में एक महत्वपूर्ण कदम है।
नए नियम बताते हैं कि पर्सनल डेटा को किस प्रकार हैंडल किया जाना चाहिए। साथ ही ये नियम व्यक्तियों के अधिकारों को सुरक्षित रखते हुए संगठनों की जिम्मेदारियां को निर्धारित करने को लेकर अहम हैं। नियम प्राइवेसी को केंद्र में रख भारत की डिजिटल इकोनॉमी के विकास को सपोर्ट करते हैं।
केंद्र की ओर से डीपीडीपी नियम 2025 को 14 नवंबर को अधिसूचित किया गया। वहीं, संसद की ओर से इस अधिनियम को दो वर्ष पूर्व 11 अगस्त 2023 को ही पारित कर दिया गया था।
यह अधिनियम और नियम मिलकर पर्सनल डेटा के सही और जिम्मेदारी से इस्तेमाल के लिए एक नागरिक-केंद्रित फ्रेमवर्क तैयार करते हैं। अधिनियम एसएआरएएल अप्रोच यानी सिंपल, एक्सेसिबल, रेशनल और एक्शेनेबल अप्रोच को फॉलो करता है। इसे स्पष्ट भाषा और चित्रों से समझाया गया है ताकि व्यवसायों और व्यक्तियों को नियमों को समझने को लेकर किसी तरह की कोई परेशानी न आए।
डीपीडीपी अधिनियम, 2023 के अंतर्गत डेटा फिड्युसरी, डेटा प्रिंसिपल, डेटा प्रोसेसर, सहमति प्रबंधक और अपीलीय न्यायाधिकरण जैसी टर्म्स को समझना भी जरूरी है। डेटा फिड्युसरी वह एंटिटी है जो पर्सनल डेटा को क्यों और कैसे प्रॉसेस किया जाए। डेटा प्रिंसिपल वह व्यक्ति है, जिससे पर्सनल डेटा संबंधित है। बच्चे के केस में डेटा प्रिंसिपल बच्चे के पैरेंट्स होंगे। डेटा प्रोसेसर वह एंटिटी है जो डेटा फिड्युसरी की ओर से डेटा को प्रॉसेस कर रही है। इसके अलावा, सहमति प्रबंधक वह एंटिटी है, जो वह एंटिटी है, जो डेटा प्रिंसिपल को उसके डेटा को मैनेज करने, रिव्यू करने, सहमति देने को लेकर एक सिंगल और ट्रांसपेरेंट प्लेटफॉर्म प्रदान करे।
केंद्र के अनुसार, डीपीडीपी नियम व्यक्तियों को कई तरह से सशक्त बनाते हैं। नियमों के तहत प्रत्येक व्यक्ति के पास उसके पर्सनल डेटा का इस्तेमाल करने को लेकर अनुमति देने या अस्वीकार करने का विकल्प होगा। इसके अलावा, नागरिक अपने डेटा को लेकर जानकारी ले सकते हैं कि उनका कौन-सा डेटा क्यों कलेक्स किया जा रहा है और उसका इस्तेमाल किस प्रकार किया जा रहा है। इसी तरह, कुछ परिस्थितियों में व्यक्ति पर्नसल डेटा हटाने का अनुरोध कर सकते हैं।
इन उपायों के साथ देश एक सुरक्षित, ट्रांसपेरेंट और इनोवेशन-फ्रेंडली डेटा इकोसिस्टम की ओर बढ़ेगा, जो नागरिकों की सेवा को प्राथमिकता देगा और डिजिटल गवर्नेंस में जनता के विश्वास को मजबूत करेगा।
--आईएएनएस
एसकेटी/