मुंबई, 2 दिसंबर (आईएएनएस)। बॉलीवुड और पंजाबी सिनेमा में अदाकारी और डायलॉग डिलीवरी से दर्शकों के दिलों पर राज करने वाले जिमी शेरगिल आज अपने करियर के तीसरे दशक में भी उतने ही दमदार हैं। जिमी शेरगिल एक अभिनेता और निर्माता भी हैं। स्क्रीन पर जिमी का जादू उनके किरदारों की गहराई और डायलॉग डिलीवरी में छुपा है।
चाहे कॉमेडी फिल्म हो या एक्शन ड्रामा, जिमी का अंदाज हमेशा याद रखा जाता है और उनके कुछ डायलॉग सोशल मीडिया पर भी लंबे समय तक चर्चे में रहते हैं।
जिमी शेरगिल का जन्म 3 दिसंबर 1970 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में हुआ था। बचपन में उनका नाम जसजीत सिंह गिल था। उनका परिवार पंजाबी सिख परिवार से था, और उनका संबंध प्रसिद्ध चित्रकार अमृता शेरगिल से भी था। शुरुआती शिक्षा उन्होंने लखनऊ से प्राप्त की और बाद में पंजाब के स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ाई की। पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखने का फैसला किया और मुंबई आकर अभिनय की ट्रेनिंग ली।
जिमी ने करियर की शुरुआत 1996 में गुलजार निर्देशित फिल्म 'माचिस' से की। हालांकि, यह उनके करियर की पहली फिल्म थी और रोल छोटा था, लेकिन उनकी एक्टिंग और ऑन-स्क्रीन प्रेजेंस ने फिल्मकारों का ध्यान खींचा। इसके बाद जिमी को आदित्य चोपड़ा की 'मोहब्बतें' में अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान और ऐश्वर्या राय जैसे दिग्गजों के साथ काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में उनका रोमांटिक किरदार दर्शकों को खूब भाया और जिमी रातोंरात स्टार बन गए।
जिमी शेरगिल का करियर लगातार बढ़ता गया। उन्होंने 'मेरे यार की शादी है', 'दिल है तुम्हारा', 'हासिल', 'मुन्ना भाई एमबीबीएस', 'लगे रहो मुन्ना भाई', 'ए वेडनेसडे' जैसी कई हिट फिल्में की। इनमें उनकी सबसे खास पहचान डायलॉग डिलीवरी और किरदार की गहराई थी। चाहे वह 'तनु वेड्स मनु रिटर्न्स' में उनका मजेदार और दिल को छू लेने वाला अंदाज हो या 'साहेब, बीवी और गैंगस्टर' में उनके गंभीर और दमदार डायलॉग, दर्शक हर बार उनके किरदार में खो जाते हैं।
'तनु वेड्स मनु रिटर्न्स' में 'ओरिजिनल भी यही रखेंगे, डुप्लीकेट भी यही रखेंगे', 'यहां एक बार घोड़ी पर चढ़ना नसीब नहीं हुआ, ये घोड़ी पर ही घूम रहे हैं तब से' जैसे डायलॉग्स लोगों को काफी पसंद आए। वहीं, 'साहेब, बीवी और गैंगस्टर' में 'हम भीड़ के सामने नहीं खड़े होते वकील साहब, भीड़ हमारे सामने खड़ी होती है', 'तुम्हारी बायोपिक का टाइटल है सिकंदर का मुकद्दर और उसका डायरेक्टर हूं मैं' जैसे डायलॉग्स भी बेहद मशहूर हुए।
जिमी ने पंजाबी फिल्मों में भी अपनी अलग पहचान बनाई। उन्होंने 'मेल करादे रब्बा', 'धरती', 'आ गए मुंडे यूके दे', 'शरीक', 'दाना पानी' जैसी सुपरहिट पंजाबी फिल्में दी। इन फिल्मों में उनकी डायलॉग डिलीवरी और किरदार की जीवंतता ने दर्शकों के बीच उन्हें सुपरस्टार बना दिया। इसके अलावा, जिमी खुद कुछ फिल्मों के निर्माता भी रहे हैं। उन्होंने 'धरती', 'साड्डी लव स्टोरी' और 'रंगीले' जैसी फिल्में अपने प्रोडक्शन हाउस के तहत बनाई।
अपने लंबे करियर में जिमी को कई पुरस्कारों और नामांकनों से सम्मानित किया गया। उन्हें स्टार गिल्ड अवॉर्ड्स, फिल्मफेयर नामांकन, पीटीसी पंजाबी फिल्म अवॉर्ड और वी. शांताराम पुरस्कार जैसी प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया। हालांकि, उन्होंने हमेशा अपने अभिनय को प्रमुखता दी और स्टारडम या ग्लैमर से कभी समझौता नहीं किया।
--आईएएनएस
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