भागलपुर, 11 सितंबर (आईएएनएस)। बिहार के भागलपुर में प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना का व्यापक असर देखने को मिल रहा है। यह योजना न केवल बिजली बिल को कम कर रही है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और ग्लोबल वार्मिंग से निपटने में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। स्थानीय निवासियों के अनुभव और आंकड़े इस योजना की सफलता को रेखांकित करते हैं।
पीएम सूर्यघर योजना के लाभार्थी मिथिलेश कुमार ने योजना के लाभ को साझा करते हुए बताया, "प्रधानमंत्री मोदी का नारा 'एक पेड़ मां के नाम' की तरह ही सोलर पैनल को 'एक सोलर पैनल 54 पेड़ के नाम' कहा जाता है।"
उन्होंने कहा कि इस योजना ने उनके बिजली बिल को शून्य कर दिया है। अब वे खुद बिजली उत्पादन कर उपयोग करते हैं और केवल मीटर का न्यूनतम शुल्क देना पड़ता है। ग्लोबल वार्मिंग के दौर में सोलर पैनल भारत के लिए वरदान साबित हुआ है। हम इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी का दिल से आभार व्यक्त करते हैं। सोलर पैनल के जरिए खुद बिजली उत्पादन करना और बिल को लगभग शून्य करना न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी एक बड़ा कदम है।
इसी तरह, भागलपुर के चार्टर्ड अकाउंटेंट अंबरीश अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने अपने घर पर 8 किलोवाट का सोलर पैनल लगवाया है, जो उनकी बिजली खपत को पूरा करता है। उन्होंने कहा, "यह योजना बेहद फायदेमंद है। हर किसी को अपने छत पर सोलर पैनल लगवाना चाहिए।"
इस योजना के लाभार्थी पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के मैनेजर संजीव कुमार ने कहा कि पहले उनका बिजली बिल 10,000 रुपए से अधिक आता था, जो अब घटकर 3,000-4,000 रुपए रह गया है। हमने बैंक मैनेजर के तौर पर न केवल लोगों को इस योजना के लिए प्रेरित किया, बल्कि पीएनबी के माध्यम से 150 से अधिक घरों में सोलर पैनल स्थापित करवाए हैं। फरवरी 2024 में शुरू हुई पीएम सूर्यघर योजना का लक्ष्य मार्च 2027 तक देश के 1 करोड़ घरों में सोलर पैनल स्थापित करना है। भागलपुर विद्युत सर्किल में अब तक 908 उपभोक्ताओं में से 459 ने इस योजना का लाभ उठाना शुरू कर दिया है।
विद्युत आपूर्ति अवर प्रमंडल मोजाहिदपुर के सहायक विद्युत अभियंता प्रणव कुमार मिश्र ने बताया कि भागलपुर शहरी क्षेत्र में 611, मोजाहिदपुर में 204, और तिलकामांझी में 323 लाभार्थी हैं। इनमें से 160 उपभोक्ताओं ने अपने घरों पर सोलर पैनल लगवाए हैं, जिनमें 147 को सब्सिडी भी प्राप्त हुई है। क्षेत्रवार आंकड़ों में कहलगांव में 161, नौगछिया में 49, नाथनगर में 65, और सुल्तानगंज में 22 लाभार्थी शामिल हैं।
प्रणव मिश्र ने बताया कि 1 से 10 किलोवाट के सोलर पैनल के लिए सरकार 78,000 रुपये तक की सब्सिडी देती है। 1 से 3 किलोवाट के पैनल के लिए 100 से 300 वर्ग फीट जगह की जरूरत होती है, और कुल लागत लगभग ढाई लाख रुपये आती है। सब्सिडी और बैंक फाइनेंसिंग के बाद यह योजना किफायती हो जाती है। अतिरिक्त बिजली स्वतः पावर ग्रिड में चली जाती है, जिसे उपभोक्ता के बिजली बिल में समायोजित किया जाता है। इस योजना के तहत सोलर पैनल लगाने वाले वेंडर और लाभार्थी के बीच 5 साल का अनुबंध होता है।
प्रणव मिश्र ने पर्यावरण के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि एक सोलर पैनल लगाना 54 पेड़ लगाने के बराबर पुण्य देता है। यह योजना न केवल बिजली बिल को शून्य करने में मदद कर रही है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे रही है।
--आईएएनएस
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