इयान हीली : एक जोशीले विकेटकीपर, जिन्होंने बल्ले से भी खेली मैच जिताऊ पारियां

इयान हीली : एक जोशीले विकेटकीपर, जिन्होंने बल्ले से भी खेली मैच जिताऊ पारियां

नई दिल्ली, 5 सितंबर (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेटर इयान हीली को जितनी उनकी विकेटकीपिंग के लिए याद किया जाता है, उतना ही उनकी बल्लेबाजी ने भी फैंस को प्रभावित किया। बेहतरीन विकेटकीपिंग और बढ़िया बल्लेबाजी के लिए मशहूर हीली ने ऑस्ट्रेलिया को उस समय स्थिरता दी, जब टीम एक बेहतरीन विकेटकीपर की तलाश में थी।

30 अप्रैल 1964 को ब्रिस्बेन में जन्मे हीली ने 1986/87 में घरेलू क्रिकेट खेलना शुरू किया। कहा जाता है कि जब इयान हीली ने विकेटकीपिंग की शुरुआत की, तो उनमें कोई स्वाभाविक प्रतिभा नहीं थी, लेकिन कड़ी मेहनत और समर्पण के दम पर वह वर्ल्ड क्लास विकेटकीपर बने।

रॉडनी मार्श के संन्यास के बाद, विकेटकीपर का स्थान ऑस्ट्रेलिया के लिए बड़ी सिरदर्दी बनता जा रहा था। ऐसे में तत्कालीन चयनकर्ता ग्रेग चैपल ने हीली पर दांव खेला।

हीली को सितंबर 1988 में पाकिस्तान दौरे के लिए चुना गया। कराची टेस्ट की पहली पारी में रमीज राजा का कैच लपकने के बाद हीली आठवें नंबर पर बल्लेबाजी के लिए उतरे। उन्होंने 95 गेंदों में 26 रन की पारी खेली, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई टीम को पारी और 188 रन से हार का सामना करना पड़ गया। हालांकि, इस सीरीज में हीली ने अपने प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया।

इस दाएं हाथ के बल्लेबाज ने दबाव की परिस्थितियों में कुछ साहसी स्ट्रोक प्ले के जरिए योगदान दिया। ऐसा ही एक मैच पाकिस्तान के खिलाफ जनवरी 1990 में मेलबर्न में खेला गया था। इस टेस्ट मुकाबले को ऑस्ट्रेलिया ने 92 रन से जीता था। ऑस्ट्रेलियाई टीम 148 के स्कोर तक अपने छह विकेट गंवा चुकी थी, लेकिन यहां से हीली ने 81 गेंदों में 48 रन की पारी खेलते हुए टीम को 223 के स्कोर तक पहुंचाया। बल्ले से योगदान देने के बाद हीली ने बतौर विकेटकीपर पाकिस्तान की पहली पारी में चार शिकार किए, जिसके चलते पाकिस्तानी टीम महज 107 रन पर सिमट गई।

हीली ने दूसरी पारी में 25 रन का योगदान टीम के खाते में दिया और ऑस्ट्रेलिया ने मुकाबला जीत लिया। दिसंबर 1991 में भारत के खिलाफ हीली ने 60 रन की पारी खेली थी। इसके अलावा विकेट के पीछे चार शिकार किए। ऑस्ट्रेलिया ने यह टेस्ट मैच 8 विकेट से जीता। अगस्त 1992 में हीली ने कोलंबो में श्रीलंका के खिलाफ 66 रन की पारी खेलकर ऑस्ट्रेलिया को 16 रन के करीबी अंतर से जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी।

अगस्त 1993 में इंग्लैंड के खिलाफ उनके प्रदर्शन को शायद ही कोई भूल सके, जिसमें हीली ने पांच शिकार करने के अलावा 107 गेंदों में 80 रन की पारी खेलकर ऑस्ट्रेलिया की जीत में अहम योगदान दिया था। चाहे वह नवंबर 1996 में वेस्टइंडीज के खिलाफ नाबाद 161 रन की पारी हो या फिर इंग्लैंड के खिलाफ नवंबर 1998 में 134 रन की पारी, इस खिलाड़ी ने अपने बल्ले के दम पर ऑस्ट्रेलिया को कई मैच जिताने और बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

छह बार एशेज जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे इयान हीली ने ऑस्ट्रेलिया की ओर से 119 टेस्ट मैच खेले, जिसमें 366 कैच और 29 स्टंपिंग के अलावा बल्ले से 27.39 की औसत के साथ 4,356 रन बनाए। इस फॉर्मेट में उनके नाम चार शतक और 22 अर्धशतक दर्ज हैं। हीली ने 168 वनडे मुकाबलों में 39 खिलाड़ियों को स्टंप आउट किया, जबकि 194 बल्लेबाजों को कैच आउट करते हुए पवेलियन लौटाया। इस फॉर्मेट में उन्होंने चार अर्धशतक के साथ 1,764 रन बनाए।

231 फर्स्ट क्लास मुकाबलों में 767 खिलाड़ियों का शिकार करने वाले हीली ने 30.22 की औसत के साथ 8,341 रन जोड़े। वहीं, 212 लिस्ट-ए मुकाबलों में उनके नाम 300 शिकार के साथ 2,183 रन बनाने का भी रिकॉर्ड है।

करियर के अंतिम चरण में इयान हीली अपने बचपन के आदर्श रॉडनी मार्श को पीछे छोड़कर टेस्ट क्रिकेट के सबसे सफल विकेटकीपर बने। करीब 10 वर्षों तक ऑस्ट्रेलियाई टीम की धड़कन बने रहे इयान हीली ने ऑस्ट्रेलियाई टीम में वैली ग्राउट, डॉन टैलोन, रॉड मार्श जैसे खिलाड़ियों को पछाड़कर विकेटकीपर की भूमिका निभाई। वह स्टंप के पीछे एक जीवंत खिलाड़ी थे। उनकी ऊर्जा हमेशा टीम में जोश भरती थी।

एक सफल क्रिकेटर के बाद इयान हीली एक सफल कमेंटेटर भी रहे। उन्होंने अपने पूर्व साथियों के साथ मिलकर दुनिया भर के लोगों का जमकर मनोरंजन किया।

--आईएएनएस

आरएसजी/एएस