बदनाम गलियों की बेटियों की बनाई 'शगुन की खोइंछादानी' से भरा जाएगा मां दुर्गा का खोईंछा

बदनाम गलियों की बेटियों की बनाई  'शगुन की खोइंछादानी' से भरा जाएगा मां दुर्गा का खोईंछा

मुजफ्फरपुर, 15 अक्तूबर (आईएएनएस)। कहा जाता है कि कभी-कभी बदनाम गलियों से भी ऐसी सकारात्मक रोशनी निकलती है जो समाज को नया संदेश देती है। ऐसा ही एक संदेश बिहार के मुजफ्फरपुर के चतुर्भुज स्थान से निकाला है जहां की लड़कियां आज शगुन की खोईंछादानी बना रही है, जिससे श्रद्धालु महिलाएं दुर्गा पूजा में मां दुर्गा का खोईंछा भरेंगी।

बिहार में बेटी की विदाई के समय खोईंछा देने की परंपरा है। खोईंछा भरने के लिए पान, सुपारी, हल्दी, अक्षत, दूब, मिठाई आदि आंचल में दिए जाते हैं। माना जाता है कि मां दुर्गा का खोईंछा भरने से माता की असीम कृपा होती है, लोग धन-धान्य से संपन्न होते है।

मुजफ्फरपुर की रेड लाइट क्षेत्र की बेटियां ने इस साल खोईंछादानी बनाकर अनूठी पहल की है। गौर करने वाली बात है कि इसकी मांग भी खूब हो रही है। श्रद्धालु से लेकर पुजारी भी खोईंछादानी खरीद रहे हैं।

खोईंछादानी बना रही जैनब बताती हैं कि पहले ऐसी उम्मीद नहीं थी कि इसकी मांग इतनी ज्यादा होगी लेकिन नवरात्र में नारी शक्ति को सम्मान मिला है। उन्होंने कहा कि 500 तक खोईंछादानी बिक चुकी हैं।

यहां की बेटियां आसपास के मंदिरों में आने वाले श्रद्धालुओं को भी इसे लेने के लिए प्रेरित कर रही हैं।

इन बेटियों को इसके लिए प्रेरित करने वाली और इसी समाज से आने वाली राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सलाहकार नसीमा खातून कहती हैं कि पहले यहां की बेटियां इसे बनाने से झिझक रही थी कि यहां बनाई खोईंछादानी भला लोग क्यों खरीदेंगे। तब खातून ने कहा था कि दुर्गा पूजा में जब यहां की मिट्टी की जरूरत होती है, तो लोग खोईंछादानी क्यों नहीं खरीदेंगे।

शबीना बताती हैं कि इसे बनाने में पवित्रता और स्वच्छता का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि 80 रुपए से लेकर 200 रुपए तक की खोईंछादानी यहां उपलब्ध हैं। कई पूजा समितियों द्वारा भी इनके लिए ऑर्डर मिले हैं।

नसीमा बताती हैं कि यह एक अच्छी पहल हैं उनका मानना है कि दुर्गा पूजा के बाद भी इसकी मांग कम नहीं होने वाली है, क्योंकि बिहार में बेटियों को खोईंछा देने की परंपरा है जिसके लिए खोईंछादानी की जरूरत होगी।

नसीमा बताती हैं कि सोशल मीडिया पर भी इस पहल की सराहना की जा रही है। सोशल मीडिया के जरिए भी लोगों की मांग आ रही है।

--आईएएनएस

एमएनपी/एकेजे