नई दिल्ली, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। वोकल कॉर्ड (स्वर यंत्र) मानव शरीर का एक अत्यधिक महत्वपूर्ण अंग है, जो हमारी आवाज उत्पन्न करने में प्रमुख भूमिका निभाता है। ये दो पतली मांसपेशियों की पट्टियां होती हैं जो लैरिंक्स (कंठ या वॉइस बॉक्स) के अंदर स्थित होती हैं। जब हम बोलते हैं या गाते हैं, तो फेफड़ों से निकली हवा इन पट्टियों से गुजरती है, जिससे कंपन (वाइब्रेशन) उत्पन्न होते हैं और यही कंपन हमारी आवाज का स्वर बनाते हैं।
वोकल कॉर्ड की लंबाई और लचीलापन हमारी आवाज के स्वर, पिच और तीव्रता को निर्धारित करते हैं। पुरुषों में ये पट्टियां थोड़ी बड़ी होती हैं, जिससे उनकी आवाज भारी और गहरी होती है, जबकि महिलाओं में ये छोटी होती हैं, जिससे उनकी आवाज अधिक तीव्र और हल्की होती है।
वोकल कॉर्ड का महत्व केवल आवाज उत्पन्न करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे श्वसन तंत्र की सुरक्षा और नियंत्रण में भी अहम भूमिका निभाता है। ये श्वास की दिशा को नियंत्रित करते हैं और हवा को सही दिशा में प्रवाहित करने में मदद करते हैं। साथ ही, वोकल कॉर्ड भोजन या तरल पदार्थ को गलती से ट्रेकिया (विंडपाइप) में जाने से रोकने का कार्य भी करते हैं, जिससे श्वसन मार्ग सुरक्षित रहता है।
इसके अलावा, यह हमारे आत्मविश्वास और व्यक्तित्व का भी दर्पण होती है, क्योंकि हमारी आवाज के टोन और पिच से हमारे प्रभाव और संचार क्षमता का पता चलता है।
वोकल कॉर्ड से जुड़ी कुछ सामान्य समस्याएं भी होती हैं, जैसे लैरिंजाइटिस (कंठशोथ), वोकल कॉर्ड नोड्यूल्स या पॉलिप्स, वोकल कॉर्ड पैरालिसिस, और रिफ्लक्स लैरिंजाइटिस। इन समस्याओं के कारण आवाज बैठ सकती है, गले में सूजन और खराश हो सकती है, और बोलने में कठिनाई हो सकती है।
इन समस्याओं से बचाव के लिए घरेलू उपायों जैसे तुलसी और अदरक का काढ़ा, शहद और हल्दी का मिश्रण, स्टीम इनहेलेशन, और वॉइस रेस्ट का पालन करना सहायक होता है। योग और प्राणायाम, जैसे भ्रमरी प्राणायाम और ओम चैंटिंग भी वोकल कॉर्ड को मजबूत और स्पष्ट बनाने में मदद करते हैं।
आयुर्वेद में भी वोकल कॉर्ड की देखभाल के लिए कई औषधियां जैसे यष्टिमधु चूर्ण, कंठ सुधा वटी, और सितोपलादि चूर्ण का उपयोग किया जाता है, जो गले की सूजन, खराश और जलन को दूर करने में सहायक होते हैं।
--आईएएनएस
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