आज भी गूंजता है Gopal Patha का Air Raid Siren, देशभक्ति की विरासत संभाल रहा परिवार

Updated: May 21, 2025 12:07 AM

कोलकाता, प. बंगाल : गोपाल चंद्र मुखर्जी यानि गोपाल पाठा, यह एक ऐसा नाम है जिसे बंगाल में लोग बहुत सम्मान से लेते हैं। 1946 के कोलकाता दंगों के दौरान जब दंगाइयों ने हिंदुओं को मारना शुरू किया तो गोपाल पाठा ने आवाज उठाई और उनके डर से दंगाई चुप हो गए। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वे अपने साथ एक हवाई हमले का सायरन लेकर अपने निवास पर आए जहां अब 'जातीय आर्तत्राण समिति' का कार्यालय है, जो आज भी सुरक्षित है और बजता भी है। उनके पोते शांतनु मुखर्जी इसकी देखभाल करते हैं। गोपाल पाठा के परिवार में वर्तमान में उनके पोते और 2 पोतियाँ हैं। अपने दादा गोपाल चंद्र मुखर्जी यानि गोपाल पाठा के बारे में बताते हुए शांतनु मुखर्जी ने कहा कि शुरुआती दौर में गांधी जी की विचारधारा ने उन्हें बहुत प्रभावित किया था, लेकिन बाद में 1946 के कोलकाता दंगों के दौरान वे गांधीवादी विचारधारा को छोड़कर नेताजी की विचारधारा पर आगे बढ़े और दंगों को रोकने में अहम भूमिका निभाई। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वे अपने साथ एयर रेड सायरन लेकर आए थे, जिसे विश्व युद्ध के दौरान बजाया गया था। यह सायरन आज भी चालू हालत में है और हर साल नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती यानी 23 फरवरी को नेताजी के जन्म के समय दोपहर 12:15 बजे इसे बजाया जाता है। शांतनु ने बताया कि यह परंपरा उनके दादाजी के समय से चली आ रही है। मौजूदा हालात में अगर राज्य या केंद्र सरकार उन्हें आपातकाल के दौरान इसे बजाने की जिम्मेदारी देती है तो वे इसे बजाएंगे।