जम्मू, 13 जुलाई (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय की ओर से 'उदयपुर फाइल्स' फिल्म की रिलीज पर रोक लगाए जाने पर वकील विष्णु शंकर जैन का मानना है कि यह फैसला कानूनी रूप से गलत है।
आईएएनएस से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि इस मामले में कुछ याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट का रुख किया गया था और तुरंत सुनवाई की मांग की गई थी। कोर्ट ने तुरंत सुनवाई करने से इनकार किया। इसके बाद यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट गया। कोर्ट में सुनवाई के बाद इस फिल्म पर रोक लगाई गई।
वरिष्ठ वकील ने बॉलीवुड की कुछ हिन्दी फिल्मों का जिक्र किया। जिनकी रिलीज के दौरान भी हंगामा मचाया गया था। हालांकि, फिल्म पर कोर्ट ने रोक नहीं लगाई थी।
उन्होंने हैदर, न्याय, आदिपुरुष जैसी फिल्मों का तर्क देते हुए कहा कि किसी भी फिल्म पर कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट की ओर से कहा गया कि अगर फिल्म पसंद नहीं है तो अच्छा है कि आप इसे न देखें। जो मापदंड इन फिल्मों के लिए लिया गया था। वह 'उदयपुर फाइल्स' के लिए भी लिया जाना चाहिए था। मैं समझता हूं कि हाईकोर्ट का फैसला ठीक नहीं है। इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जानी चाहिए, उम्मीद है कि फिल्म के लोग सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे।
छांगुर बाबा मामले पर उन्होंने कहा कि धर्मांतरण की एक सुनियोजित साजिश चल रही है। इसके पीछे एक मानसिकता है। यह धारणा है कि जनसांख्यिकी को बदलकर चुनावी राजनीति को प्रभावित किया जा सकता है और अंततः क्षेत्र की नियति को नया आकार दिया जा सकता है। विदेशी फंडिंग के दम पर, पूर्वोत्तर और भारत के कई राज्यों में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के रैकेट चल रहे हैं।
उन्होंने योगी सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि इस सरकार ने धर्मांतरण के रैकेट का खात्मा किया। इसी के तर्ज पर दूसरे राज्यों को भी सीख लेनी चाहिए और कहीं भी धर्मांतरण चल रहा है तो उसके खिलाफ एक्शन लिया जाना चाहिए।
उन्होंने कांवड़ यात्रा पर कहा कि यूपी सरकार का जो आदेश है, वह कानूनी तौर पर सही है। कांवड़ यात्रा के दौरान आने वाले भक्तों को यह जानने का मौलिक अधिकार है कि वह जिस ढाबे या होटल से खाना खा रहे हैं, उसे बनाने वाले कौन हैं और खाने की क्वालिटी ठीक है या नहीं। सभी चीजों को जानने का हक है।
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