नई दिल्ली, 12 नवंबर (आईएएनएस)। शहद को न केवल विभिन्न संस्कृतियों में इस्तेमाल किया जाता है, बल्कि इसे औषधीय गुणों के लिए भी सराहा गया है।
शहद को "स्वर्ण अमृत" माना जाता है, जो मन और तन दोनों को स्वस्थ रखने में सहायक है। आयुर्वेद में शहद को "त्रिदोषहर" कहा जाता है क्योंकि ये वात, कफ और पित्त को संतुलित रखने में मदद करता है। इसे कई बीमारियों और शुरुआती चरण के रोगों में इस्तेमाल किया जाता है।
आयुर्वेद में शहद को मधु कहते हैं, जो किसी भी चीज के गुणों को बढ़ा सकता है और उसे प्रभावी बनाता है। यह रोगों को कम करने के साथ-साथ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। इसमें रोगाणुरोधी, सूजन-रोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं और यह खांसी, बुखार, गले से जुड़े रोग, मोटापा कम करने, स्किन संबंधी रोग और पाचन संबंधी रोगों में राहत देता है, हालांकि इसके इस्तेमाल करने का सही तरीका भी पता होना चाहिए।
अगर चेहरे की चमक फीकी पड़ गई है और चेहरे पर काले-गहरे धब्बे हो गए हैं, तो शहद का मिश्रण लगाने से राहत मिलेगी। इसके लिए थोड़ी हल्दी और नींबू का रस मिलाकर चेहरे पर लगाएं। ऐसा हफ्ते में तीन बार करें। धीरे-धीरे चेहरे की चमक वापस आ जाएगी। अगर नींद आने में परेशानी होती है या रात में नींद खुल जाती है, तो हल्के गुनगुने दूध में एक चम्मच शहद मिलाकर लेने से मस्तिष्क शांत होता है और अच्छी नींद आती है।
इसके अलावा मोटापे से बचने के लिए सुबह खाली पेट गुनगुने पानी में शहद और नींबू मिलाकर लेने से पेट की चर्बी कम होती है। ऐसा करने से पाचन शक्ति बढ़ती है और शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। सर्दी में या बदलते मौसम में भी शहद का सेवन करना लाभकारी होता है। इसके लिए शहद को अदरक और काली मिर्च के साथ लेना चाहिए। दिन में कम से कम तीन बार इसे लेने से आराम मिलेगा। यह नुस्खा बच्चों पर भी बराबर काम करता है।
शहद के लेने की विधि बहुत जरूरी है, लेकिन इसी के साथ ये जानना भी जरूरी है कि शहद को किन चीजों के साथ न लिया जाए। शहद को कभी भी गर्म दूध में मिलाकर नहीं लेना चाहिए। दूध हल्का गुनगुना होना चाहिए। दूसरे, शहद का सेवन कभी भी गर्म करके नहीं करना चाहिए। इससे शरीर में 'आम' की वृद्धि बढ़ जाती है।
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