सोने से पहले पैरों में तेल से मालिश करना क्यों है जरूरी? जानिए आयुर्वेदिक कारण

सोने से पहले पैरों में तेल से मालिश करना क्यों है जरूरी? जानिए आयुर्वेदिक कारण

नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)। सोने से पहले पैरों में तिल या सरसों के तेल से मालिश करना एक पुरानी आयुर्वेदिक परंपरा है, जिसे पदाभ्यंग कहा जाता है। आज की तेज रफ्तार जिंदगी में, जब तनाव, थकान और नींद की कमी आम हो गई है, तो यह छोटा-सा उपाय आपके मन और शरीर दोनों को सुकून देने का सरल तरीका बन सकता है।

आयुर्वेद में बताया गया है कि पदाभ्यंग करने से वात दोष संतुलित होता है, जिससे शरीर की नाड़ियां शांत होती हैं और गहरी नींद आती है।

चरक संहिता और अश्टांग हृदयम जैसे ग्रंथों में इसे रोजमर्रा की दिनचर्या का हिस्सा बताया गया है।

दरअसल, हमारे पैरों के तलवों में लगभग 72,000 नाड़ियां होती हैं, जो शरीर के अलग-अलग अंगों से जुड़ी होती हैं, जैसे दिल, फेफड़े, पाचन तंत्र और मस्तिष्क। जब इन बिंदुओं पर तेल से मालिश की जाती है, तो इसका असर पूरे शरीर पर महसूस होता है।

मालिश के लिए तिल का तेल सबसे बेहतर माना गया है क्योंकि यह वात को शांत करता है, त्वचा को पोषण देता है और हड्डियों को मजबूत बनाता है। वहीं, सरसों का तेल सर्दी-जुकाम से बचाव करता है, रक्त संचार बढ़ाता है और मांसपेशियों के दर्द में राहत देता है। अगर सर्दियों का मौसम हो, तो सरसों का तेल अधिक फायदेमंद रहता है क्योंकि यह शरीर में गर्मी पैदा करता है।

पैरों की मालिश करने की विधि बहुत आसान है। सोने से पहले पैरों को अच्छी तरह धोकर सुखा लें, फिर थोड़ा गुनगुना तेल लेकर तलवों, एड़ियों और पिंडलियों पर हल्के हाथों से 5-10 मिनट तक मालिश करें। इसके बाद मोजे पहन लें ताकि तेल चादर पर न लगे। बस इतना करने से ही शरीर का तनाव धीरे-धीरे कम होने लगता है और नींद गहरी आने लगती है।

आधुनिक विज्ञान भी अब इस प्राचीन विधि की पुष्टि करता है। न्यूरोलॉजी और रिफ्लेक्सोलॉजी के अनुसार, पैरों की मालिश नर्वस सिस्टम को शांत करती है, रक्त संचार को बेहतर बनाती है और डोपामिन व सेरोटोनिन जैसे हैप्पी हार्मोन को सक्रिय करती है, जो नींद और मूड को सुधारते हैं।

--आईएएनएस

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