सिंहावलोकन 2025: किन-किन देशों की सरकार कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई

सिंहावलोकन 2025: किन-किन देशों की सरकार कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई

नई दिल्ली, 14 दिसंबर (आईएएनएस)। 2025 का साल खत्म होने वाला है। अगर राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाए, तो दुनिया के कई देशों के लिए यह साल काफी उठापटक वाला रहा है। कई ऐसे देश हैं, जहां की सरकार को अपना कार्यकाल पूरा किए बिना ही इस साल सत्ता त्यागना पड़ा या फिर प्रधानमंत्री को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। आइए जानते हैं कि वो कौन-कौन से ऐसे देश हैं, जहां ऐसा हुआ।

इस लिस्ट में सबसे पहला नाम नेपाल का आता है, जहां ऐसी राजनीतिक उथल-पुथल देखने को मिली, जिसने पूरी दुनिया को झकझोरकर रख दिया। नेपाल में इस साल राजनीतिक अस्थिरता देखने को मिली। नेपाल के युवाओं ने देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। देखते ही देखते जेन-जी का विरोध-प्रदर्शन भारी हिंसा में तब्दील हो गया। जगह-जगह आगजनी देखने को मिली।

केपी ओली की सरकार को मजबूर होकर युवाओं के आगे झुकना पड़ा। नेपाल एक ऐसा देश है, जहां बड़े पैमाने पर राजनीतिक अस्थिरता है। लगभग 17 सालों में यहां पर एक भी सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई है।

पुर्तगाल में प्रधानमंत्री लुईस मोंटेनग्रो के नेतृत्व वाली दक्षिणपंथी गठबंधन सरकार मार्च में संसद में विश्वास मत हार गई थी। विपक्षी दलों ने उन्हें अपना समर्थन नहीं दिया। इसकी वजह से उन्हें पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद फिर राष्ट्रपति ने संसद भंग कर दी, जिसके बाद 18 मई 2025 को फिर से चुनाव कराना पड़ा।

बेनिन में इस साल सैन्य तख्तापलट हो गया। पश्चिम अफ्रीका के देश बेनिन में 7 दिसंबर को कुछ सैनिक समूहों ने तख्तापलट का दावा किया था। खुद को सीएमआर यानी मिलिट्री कमेटी फॉर रिफाउंडेशन कहने वाले समूह ने सरकारी टेलीविजन पर कहा कि उन्होंने बैठक कर राष्ट्रपति पैट्रिस टैलोन को उनके पद से हटाने का फैसला लिया। यह घोषणा ऐसे समय में हुई जब बेनिन राष्ट्रपति चुनाव की तैयारी कर रहा था, जो 2016 से सत्ता में मौजूद पैट्रिस टैलोन के कार्यकाल का अंत होता।

जर्मनी में ओलाफ शोल्ज की गठबंधन की सरकार थी। गठबंधन संसद में बहुमत खो बैठी और जर्मन चांसलर विश्वास प्रस्ताव हार गए। शोल्ज की सरकार 2021 में बनी थी, जिसमें सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी, ग्रीन पार्टी और फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी शामिल थीं। 2024 के अंत में इस गठबंधन में आंतरिक कलह और मतभेद शुरू हुए जो धीरे-धीरे खुलकर सबसे सामने आ गए। जर्मन संसद बुंडेस्टाग में सरकार को बहुमत नहीं मिला, जिसकी वजह से कई अहम विधेयक पास नहीं हुए।

जापान के निचले सदन में इस साल जुलाई में चुनाव हुआ, जिसमें सत्तारूढ़ पार्टी एलडीपी की हार हुई। इस हार की जिम्मेदारी लेते हुए शिगेरु इशीबा ने अपने पद से इस्तीफा दिया। इसके बाद एलडीपी से ही साने ताकाइची को बहुमत के साथ पीएम चुना गया।

--आईएएनएस

केके/एबीएम