ढाका, 15 दिसंबर (आईएएनएस)। बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की उम्रकैद की सजा फांसी तक बढ़ाने की मांग की गई है। इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (आईसीटी) के अभियोजक ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के अपीलीय अदालत में याचिका दायर की है। इसमें शेख हसीना और पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को दी गई सजा बढ़ाने की मांग की गई।
बांग्लादेशी मीडिया बीएसएस न्यूज के अनुसार, अपील में जुलाई में हुए सामूहिक विद्रोह के दौरान मानवता के खिलाफ किए गए कुछ अपराधों के लिए उनकी सजा को मौत तक बदलने की मांग की गई।
आईसीटी अभियोजक गाजी एमएच तममी ने कहा कि जुलाई विद्रोह के दौरान मानवता के खिलाफ किए गए अपराधों के लिए उम्रकैद की सजा काफी नहीं है और इसकी जगह मौत की सजा दी जानी चाहिए।
हसीना और कमाल के लिए मौत की सजा की अपील के बाद ट्रिब्यूनल परिसर में एक प्रेस ब्रीफिंग में तममी ने कहा, "पहला फैसला फिर से बने आईसीटी में सुनाया गया था। जुलाई विद्रोह के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों के मामले में, हसीना और कमाल को सजा सुनाई गई थी। उन्हें एक आरोप में उम्रकैद और दूसरे में मौत की सजा मिली थी।"
उन्होंने कहा, "हमने आज सुप्रीम कोर्ट के अपीलीय अदालत में अपील की है कि उम्रकैद की जगह मौत की सजा दी जाए। इसके लिए आठ वजहें बताई गई हैं। फैसला आने के तीस दिनों के अंदर अपील फाइल करनी होती है। हमने यह पहले ही कर दिया था। अपील के साठ दिनों के अंदर सेटलमेंट का नियम है। मुझे उम्मीद है कि इस अपील का निपटारा उस समय के अंदर हो जाएगा।"
यह कदम 17 नवंबर को दिए गए इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल-1 के फैसले के एक हिस्से को चुनौती देता है, जिसमें ट्रिब्यूनल ने दोनों नेताओं को एक बड़े आरोप में मौत की सजा और एक अलग आरोप में प्राकृतिक तरीके से मौत तक जेल की सजा सुनाई थी।
मीडिया से बातचीत के दौरान सोमवार को तमीम ने कहा, “हमने आज आठ वजहों से अपील फाइल की है ताकि उन आरोपों में सजा बढ़ाई जा सके, जिनमें उन्हें उम्रकैद की सजा दी गई थी।”
--आईएएनएस
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