राष्ट्रीय शिक्षा दिवस : मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती क्यों है इतनी खास? जानिए वजह

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2025: मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती क्यों है इतनी खास? जानिए वजह

नई दिल्ली, 10 नवंबर (आईएएनएस)। हर साल 11 नवंबर को हम 'राष्ट्रीय शिक्षा दिवस' के रूप में मनाते हैं। यह दिन हमारे देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि आजाद की जयंती पर ही 'राष्ट्रीय शिक्षा दिवस' क्यों मनाया जाता है? अगर आपको ये जानना है तो पहले आपको उनके बारे में जानना होगा।

मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को सऊदी अरब में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई मशहूर अल-अजहर यूनिवर्सिटी से की थी। वे एक विद्वान, स्वतंत्रता सेनानी, लेखक और विचारक थे। भारत की आजादी की लड़ाई में उन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे युवा अध्यक्ष बने।

आजाद साहब ने हमेशा यह माना कि किसी भी देश की असली ताकत उसके शिक्षित नागरिक होते हैं। उन्होंने आजादी के बाद शिक्षा को प्राथमिकता दी। वे चाहते थे कि हर बच्चा, चाहे अमीर हो या गरीब, उसे शिक्षा का समान अवसर मिले। उनके कार्यकाल में खासतौर पर ग्रामीण इलाकों और लड़कियों की शिक्षा पर ध्यान दिया गया।

मौलाना आजाद का मानना था कि शिक्षा सिर्फ डिग्री पाने का माध्यम नहीं, बल्कि इंसान को सोचने, समझने और समाज को बेहतर बनाने की ताकत देती है। उन्होंने वयस्क साक्षरता, 14 साल तक के सभी बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा, और व्यावसायिक प्रशिक्षण जैसे मुद्दों पर काम किया।

उनके प्रयासों से ही भारत में कई अहम शैक्षणिक संस्थानों की नींव रखी गई। उन्होंने आईआईटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) और यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) की स्थापना में बड़ी भूमिका निभाई। इतना ही नहीं, उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया की नींव रखने वाली समिति में भी हिस्सा लिया था और बाद में इसके कैंपस को नई दिल्ली में स्थानांतरित करने में भी अहम भूमिका निभाई।

मौलाना आजाद को स्वतंत्र भारत के शिक्षा का निर्माता कहा जाता है। उनके योगदान को याद करते हुए भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) ने वर्ष 2008 में पहली बार 11 नवंबर को 'राष्ट्रीय शिक्षा दिवस' के रूप में मनाना शुरू किया।

इस दिन देशभर के स्कूलों, कॉलेजों और शिक्षण संस्थानों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जैसे निबंध लेखन, वाद-विवाद, भाषण और शिक्षा पर प्रदर्शनी। इन सबका मकसद यही होता है कि छात्रों और युवाओं को शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूक किया जाए और मौलाना आजाद के विचारों को आगे बढ़ाया जाए।

आसान शब्दों में कहें, तो मौलाना अबुल कलाम आजाद ने भारत की शिक्षा को नई दिशा दी। उनका मानना था कि अगर शिक्षा सबके लिए सुलभ हो जाए, तो देश प्रगति की राह पर तेजी से बढ़ सकता है। इसलिए, हर साल उनके योगदान को याद करते हुए 11 नवंबर को 'राष्ट्रीय शिक्षा दिवस' मनाया जाता है।

--आईएएनएस

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