पटाखों का विकल्प ढूंढना होगा, हर उम्र के मरीजों में सांस की समस्या बढ़ी : डॉ. एम. वली

पटाखों का विकल्प ढूंढना होगा, हर उम्र के मरीजों में सांस की समस्या बढ़ी: डॉ. एम. वली

नई दिल्ली, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। दीपावली के बाद दिल्ली-एनसीआर की हवा एक बार फिर बिगड़ गई है। प्रदूषण के बढ़ते स्तर का सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। सर गंगाराम अस्पताल के मेडिसिन विभाग के सीनियर कंसल्टेंट प्रोफेसर डॉ. एम. वली से इस मुद्दे पर आईएएनएस ने खास बातचीत की। उन्होंने चिंता जाहिर की और कहा कि हमें पटाखों का विकल्प ढूंढना होगा।

डॉ. वली ने कहा कि हर साल दीपावली के दौरान वायु प्रदूषण में तेजी से बढ़ोतरी होती है। इस बार भले ही ग्रीन पटाखों को जलाने की अनुमति दी गई थी, लेकिन इसके बावजूद वायु गुणवत्ता में कोई खास सुधार नहीं दिखा। मुझे लगता है कि अब पटाखों का कोई विकल्प ढूंढना होगा, ताकि उनसे निकलने वाले धुएं और गैसों से लोगों को परेशानी न हो। सिर्फ नियम बनाने से नहीं, बल्कि लोगों की जागरूकता से ही बदलाव आएगा।

उन्होंने बताया कि दीपावली के आसपास और उसके बाद अस्पतालों में सांस लेने में तकलीफ, गले में खराश, बुखार, सर्दी-जुकाम और आंखों में जलन जैसी शिकायतों वाले मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि होती है। पिछले कुछ दिनों से हर उम्र के लोग मेरे पास आ रहे हैं, किसी को गले में दर्द है, किसी को सांस लेने में दिक्कत, किसी को छाती में दर्द, तो किसी की आंखों से लगातार पानी आ रहा है।

उन्होंने यह भी बताया कि डायबिटीज, हृदय रोग और अस्थमा जैसी पुरानी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है। प्रदूषण के कारण इन रोगियों में सांस फूलना, हार्ट अटैक का खतरा और थकान जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। जब तक वायु गुणवत्ता में सुधार नहीं होता, तब तक सतर्कता बरतें। लोगों को इन दिनों घर से कम बाहर निकलना चाहिए। अगर बाहर निकलना जरूरी है तो मास्क जरूर पहनें। गुनगुना पानी पिएं, भाप लें, गार्गल करें और तली-भुनी चीजों से परहेज करें।

उन्होंने लोगों को सलाह दी कि जो लोग मॉर्निंग वॉक या आउटडोर एक्सरसाइज करते हैं, उन्हें कुछ दिनों के लिए इससे बचना चाहिए। सुबह के समय हवा में प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा होता है, इसलिए उस वक्त बाहर निकलना सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है।

--आईएएनएस

पीएसके/एबीएम