नई दिल्ली, 27 नवंबर (आईएएनएस)। काली जीरी को आयुर्वेद में पेट और कीड़ों की रामबाण औषधि कहा जाता है। इसके छोटे-छोटे काले बीजों में बड़ी शक्ति छिपी होती है। सही मात्रा और सही तरीके से इस्तेमाल करने पर काली जीरी एक प्राकृतिक औषधि के रूप में आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में बहुत मददगार साबित होती है।
काली जीरी के बीज पेट के लिए बेहद फायदेमंद माने जाते हैं। अगर आपके पेट में गैस, अपच या कब्ज की समस्या रहती है, तो काली जीरी इसका आसान और प्राकृतिक समाधान हो सकती है। इसके अलावा, ये पेट के कीड़ों को भी दूर करने में असरदार है। काली जीरी सिर्फ पेट के लिए ही नहीं, बल्कि लिवर को मजबूत करने, मोटापा कम करने और त्वचा के कई रोगों में भी मदद करती है। मधुमेह के मरीजों के लिए भी यह फायदेमंद मानी जाती है क्योंकि यह शुगर को नियंत्रित करने में मदद करती है।
काली जीरी का सेवन कई तरीकों से किया जा सकता है। सबसे आसान तरीका है काली जीरी का चूर्ण, जिसे 2-3 ग्राम गुनगुने पानी के साथ लिया जा सकता है। अगर पेट में गैस या अपच हो रही हो तो काली जीरी और अजवाइन बराबर मात्रा में पीसकर लेने से फायदा होता है। आंतों के कीड़ों को साफ करने के लिए आप काली जीरी का काढ़ा बना सकते हैं, बस बीजों को पानी में उबालकर छान लें और पी लें। लिवर की ताकत बढ़ाने और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए काली जीरी को शहद के साथ मिलाकर लेना अच्छा रहता है।
त्वचा के रोगों के लिए भी काली जीरी उपयोगी है। बीजों से बना तेल सीधे त्वचा पर लगाने से दाद, खुजली और फोड़े-फुंसी में आराम मिलता है। मोटापा कम करने और पेट की सफाई के लिए काली जीरी को त्रिफला या मेथी के साथ मिलाकर लेने की भी सलाह दी जाती है। ये मिश्रण न सिर्फ वजन घटाने में मदद करता है बल्कि डायबिटीज नियंत्रण में भी सहायक है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि काली जीरी का ज्यादा सेवन पेट में जलन या कमजोरी पैदा कर सकता है, इसलिए इसे हमेशा चिकित्सक की सलाह के मुताबिक ही इस्तेमाल करें।
--आईएएनएस
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