रांची, 12 अगस्त (आईएएनएस)। झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य की जेलों में 81 प्रतिशत से अधिक पद रिक्त रहने पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि सभी खाली पदों पर 30 सितंबर 2025 तक नियुक्ति की जाए।
अदालत ने अगली सुनवाई से पूर्व इस संबंध में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी।
चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने मंगलवार को यह आदेश जेल सुधार और मॉडल जेल मैनुअल से संबंधित स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया।
अदालत ने राज्य सरकार और एमिकस क्यूरी की दलीलें सुनीं और रिक्तियों के मुद्दे को गंभीर बताते हुए तत्काल कार्रवाई पर जोर दिया।
सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी अधिवक्ता मनोज टंडन ने अदालत को बताया कि लंबे समय से जेल सुधार के मामले पर सुनवाई हो रही है। जुलाई 2023 में यह तथ्य सामने आया था कि राज्य की जेलों में 81 प्रतिशत पद खाली हैं। उस समय अदालत ने पदों को शीघ्र भरने का आदेश दिया था, लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
अदालत को यह भी बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत जेल व्यवस्था में सुधार और मॉडल जेल मैनुअल तैयार करने की दिशा में कार्य होना आवश्यक है।
इस पर पिछली सुनवाई में खंडपीठ ने सरकार से पूछा था कि इस मामले में क्या प्रगति हुई है। सरकार ने जानकारी दी थी कि अदालत के निर्देश के बाद मॉडल जेल मैनुअल तैयार कर लिया गया है।
गौरतलब है कि जेल सुधार और मॉडल जेल मैनुअल का मुद्दा झारखंड हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान में लिया था, जिसका उद्देश्य राज्य की जेलों में सुविधाओं, सुरक्षा और प्रबंधन में सुधार लाना है।
अदालत ने स्पष्ट किया है कि पदों की भारी कमी जेल प्रशासन और कैदियों के अधिकारों पर प्रतिकूल असर डाल रही है, इसलिए इसे जल्द से जल्द दूर किया जाना आवश्यक है।
--आईएएनएस
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