नई दिल्ली, 20 अगस्त (आईएएनएस)। आजादी की लड़ाई सिर्फ राजनीतिक आंदोलनों तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह एक सामाजिक और नैतिक जागरण की भी कहानी है। इस चेतना के केंद्र में गोपाल कृष्ण देवधर भी रहे, जिन्होंने गोपाल कृष्ण गोखले के साथ मिलकर पुणे के फर्ग्युसन हिल पर 'सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसायटी' की स्थापना की थी।
गोपाल कृष्ण देवधर का जन्म 21 अगस्त 1871 को पुणे में हुआ। वे मुंबई विश्वविद्यालय से मराठी से वैकल्पिक विषय के रूप में एमए करने वाले पहले छात्र थे।
उन्होंने मुंबई के 'आर्यन एजुकेशन सोसायटी' स्कूल में शिक्षक के रूप में कार्य किया और बाद में 1900 में उसी स्कूल के प्रधानाचार्य बने। 1904 के आसपास, वे गोपाल कृष्ण गोखले के संपर्क में आए और उनके साथ मिलकर उन्होंने 'भारत सेवक समाज' की स्थापना में भाग लिया।
सन 1918 की ऐतिहासिक घटना में, जब प्रसिद्ध शिक्षाविद् प्राचार्य टी.ए. कुलकर्णी की ओर से स्थापित न्यू इंग्लिश स्कूल, मुंबई को एक संगठित शैक्षिक संस्था के रूप में रूपांतरित किया जा रहा था, उस समय गोपाल कृष्ण देवधर और प्रसिद्ध श्रमिक नेता एनएम जोशी, दोनों ने मिलकर इस महत्वपूर्ण कदम में मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान किया।
दोनों ही सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसायटी के समर्पित सदस्य थे, जो गोपाल कृष्ण गोखले की प्रेरणा से राष्ट्र सेवा में जुटे थे।
'गोखले शिक्षा सोसायटी' की वेबसाइट पर यह जिक्र मिलता है कि गोपाल कृष्ण देवधर ने प्राचार्य कुलकर्णी को सलाह दी कि विद्यालय को एक व्यवस्थित शैक्षिक संस्था के रूप में विकसित किया जाए। इसी विचार से प्रेरित होकर, 19 फरवरी 1918 को, जो गोपाल कृष्ण गोखले की तीसरी पुण्यतिथि भी थी, "गोखले एजुकेशन सोसायटी" की स्थापना की गई। इस उद्घाटन अवसर पर गोपाल कृष्ण देवधर और एनएम जोशी दोनों उपस्थित थे।
भारतीय संस्कृति मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, "इस सोसायटी की स्थापना इस विश्वास के साथ की गई थी कि यदि जनसाधारण को मुक्त करना है, तो निस्वार्थ और बुद्धिमान कार्यकर्ताओं का एक समूह होना चाहिए, जो अपना जीवन राष्ट्र की सेवा में समर्पित कर दे।"
इसके स्वयंसेवकों को राष्ट्रवादी मिशनरी बनाने के लिए प्रशिक्षित किया गया था, जिन्होंने त्याग की शपथ ली। इस तरीके से उन्होंने स्वार्थ, अभिमान और प्रसिद्धि के सभी विचारों को त्याग दिया और स्वयं को अपने कार्य और कर्तव्य के प्रति समर्पित कर दिया। गोपाल कृष्ण देवधर, नटेश अप्पाजी द्रविड़ और अनंत विनायक पटवर्धन जैसे विचारशील और समर्पित सहयोगियों के साथ इस संगठन के संस्थापक और आजीवन सदस्य बने।
वास्तव में, यह सोसायटी देश का पहला धर्मनिरपेक्ष संगठन माना जाता था, जिसने वंचितों, ग्रामीणों और आदिवासी लोगों व अन्य सामाजिक कार्यों के लिए खुद को समर्पित किया। इस सोसायटी ने कल्याणकारी उद्देश्यों के लिए अलग-अलग जातियों और धर्मों के लोगों को एकजुट करने के लिए प्रमुख रूप से काम किया, जिससे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जनसाधारण के एकीकरण में प्रत्यक्ष रूप से मदद मिली।
इस तरह भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाने वाले और 'सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसायटी' के सक्रिय सदस्य गोपाल कृष्ण देवधर का जीवन, उनके विचार और समाज के प्रति उनका समर्पण आज भी प्रेरणा स्रोत हैं।
--आईएएनएस
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