टोक्यो को पीछे छोड़ जकार्ता कैसे बना दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला शहर

Jakarta

जकार्ता, 27 नवंबर (आईएएनएस)। जकार्ता दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला शहर कैसे बना, इसकी कहानी किसी एक कारण से नहीं बल्कि कई दशकों में जमा हुए सामाजिक-आर्थिक बदलावों से मिलकर बनी है।

संयुक्त राष्ट्र की नई शहरी आकलन रिपोर्ट (वर्ल्ड अर्बनाइजेशन प्रॉस्पेक्ट्स 2025) के बाद यह साफ हो गया कि जकार्ता केवल इंडोनेशिया की राजधानी भर नहीं रहा, बल्कि एक ऐसा विशाल महानगरीय इलाका बन चुका है जिसने आबादी के मामले में टोक्यो को भी पीछे छोड़ दिया है।

आज जकार्ता और उसका विस्तृत महानगर क्षेत्र (जिसे जबोदेताबेक कहा जाता है) 4 करोड़ से अधिक लोगों को अपने भीतर समेटे हुए है, और यह संख्या लगातार बढ़ रही है।

जकार्ता की आबादी बढ़ने का सबसे बड़ा कारण देश के अंदर से हुआ भारी पैमाने का प्रवास है। इंडोनेशिया के ग्रामीण इलाकों, छोटे शहरों और दूर-दराज द्वीपों से लाखों लोग शिक्षा, रोजगार और बेहतर जीवन की तलाश में लगातार यहां आते रहे।

1970 के दशक तक यह शहर कुछ ही मिलियन की आबादी वाला था, लेकिन आर्थिक उदारीकरण, उद्योगों के विस्तार और सेवा क्षेत्र के तेज विकास ने जकार्ता को पूरे देश के युवाओं के लिए एक चुंबक की तरह आकर्षक बना दिया। यहां आने वाला अधिकांश प्रवासी युवा होता है, जिससे प्राकृतिक जनसंख्या वृद्धि भी तेज रहती है और हर दशक में महानगर की कुल जनसंख्या में बड़ा इज़ाफा दर्ज होता है।

आर्थिक दृष्टि से जकार्ता इंडोनेशिया की धड़कन है। सरकार, कॉरपोरेट, बैंकिंग, स्टार्ट-अप, व्यापार, बंदरगाह और अंतरराष्ट्रीय निवेश—सबका केंद्र यही है। यही कारण है कि देश की आंतरिक माइग्रेशन स्ट्रीम का सबसे बड़ा हिस्सा यहीं ठहरता है। शहर के आसपास बन रहे उपनगर जैसे बोगोर, तंगेरांग और बेकासी—ने जनसंख्या घनत्व को कई गुना बढ़ा दिया है। लोग भले ही काम के घंटे जकार्ता में बिताते हों, लेकिन रात में वे इन उपनगरों में लौट जाते हैं। इस तरह पूरा क्षेत्र एक विशाल शहरी जाल में बदल गया है, जो संयुक्त रूप से दुनिया का सबसे बड़ा 'शहरी समुच्चय' बनाता है।

इतनी बड़ी आबादी के साथ चुनौतियां भी उतनी ही बड़ी हैं। ट्रैफिक जाम, अव्यवस्थित निर्माण, जल-भराव, प्रदूषण, भू-धंसान, कचरा-प्रबंधन और भीड़-भाड़ ने जकार्ता को रहने की दृष्टि से मुश्किल शहरों में शामिल कर दिया है। सरकार ने राजधानी को बोर्नियो स्थित नए शहर नुसंतारा में स्थानांतरित करने का फैसला भी इसी अत्यधिक बोझ को देखते हुए किया। लेकिन इसके बावजूद जकार्ता की जनसंख्या घटती नहीं, बल्कि लगातार बढ़ती जा रही है, क्योंकि लोगों का मानना है कि अवसरों का असली केंद्र अभी भी यही है।

इस प्रकार जकार्ता का दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर बनना किसी अचानक हुए बदलाव का परिणाम नहीं, बल्कि दशकों से जमा होते आए माइग्रेशन, आर्थिक महत्व, युवाओं की प्राकृतिक वृद्धि, और महानगर क्षेत्र के अनियंत्रित विस्तार की संयुक्त कहानी है।

--आईएएनएस

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