नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार कोभारतीय नौसेना के बहादुर जवानों के साथ दीपावली मनाई। वे गोवा तट पर तैनात देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर पहुंचे, जहां उन्होंने देश की रक्षा में तत्पर जवानों को सैल्यूट किया।
प्रधानमंत्री ने जवानों के अदम्य साहस और समर्पण की सराहना की और यह संदेश भी दिया कि देश उनके प्रयासों को कभी नहीं भूलता।
यह पहली बार नहीं है, जब उन्होंने जवानों के साथ त्योहार मनाया। करीब ढाई दशक में वह कई बार जवानों संग त्योहार की खुशियां बांट चुके हैं। 2014 से लेकर हर वर्ष वे देश की सीमाओं पर तैनात सैनिकों के साथ दीपावली मनाते आए हैं। यह परंपरा गुजरात से शुरू हुई थी, जब बतौर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2001 में कच्छ में आए भूकंप प्रभावित इलाकों में रहने वालों के साथ दीपावली मनाने का निर्णय लिया। 2009 में उन्होंने नाथू ला सीमा पर जाकर सैनिकों को शुभकामनाएं दीं और लिखा, “भारत आप पर गर्व करता है। आपका कर्तव्य केवल सेवा नहीं, यह साधना और तपस्या है।” यही संदेश उन्होंने हमेशा अपने कार्यकाल में बनाए रखा।''
मोदी अर्काइव के एक्स हैंडल ने पीएम मोदी की अब तक की दीपावली सेलिब्रेशन की तस्वीरें शेयर कीं। 2014 में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पहले कार्यकाल की दीपावली सियाचिन ग्लेशियर पर मनाई, जहां सैनिक हर दिन कठोर परिस्थितियों में अपनी ड्यूटी निभाते हैं। उनका यह दौरा यह संदेश देने के लिए था कि देश का आभार सबसे कठिन स्थानों तक पहुंचता है।
2015 में उन्होंने डोगराई (पंजाब) के युद्ध स्मारक का दौरा किया और 1965 के युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। अगले वर्ष 2016 में एम मोदी ने हिमाचल प्रदेश के सोमडू और चांगो में सैनिकों के साथ दीपावली मनाई और वन रैंक वन पेंशन जैसी कल्याणकारी योजनाओं पर चर्चा की।
2017 में गुरेज घाटी (जम्मू-कश्मीर) में जवानों ने प्रधानमंत्री का स्वागत किया। उन्होंने व्यक्तिगत संदेश देते हुए कहा कि जैसे सभी अपने परिवार के साथ दीपावली मनाते हैं, वैसे ही मैं भी यहां अपने परिवार के साथ हूं। 2018 में उन्होंने हर्षिल और केदारनाथ (उत्तराखंड) में सैनिकों से मुलाकात की और कठिन परिस्थितियों में उनकी सेवा का सम्मान किया।
2019 में राजौरी और पठानकोट में उन्होंने इन्फैंट्री डे के अवसर पर सैनिकों का सम्मान किया। 2020 में महामारी के बावजूद उन्होंने राजस्थान के लोंगेवाला जाकर दीपावली मनाई, जो 1971 के युद्ध की वीरता से जुड़ा क्षेत्र है। सैनिकों की कठिनाइयों को समझते हुए उन्होंने कहा था, “अगर हमें मास्क पहनने में असुविधा होती है तो सैनिकों को भारी सुरक्षा उपकरण पहनने में कितनी कठिनाई होती होगी।”
2021 में नौशेरा (जम्मू-कश्मीर) और 2022 में कारगिल में उन्होंने दीपावली मनाई, सैनिकों को परिवार का हिस्सा बताते हुए देशवासियों से उनके साहस और समर्पण के लिए दीप जलाने का आग्रह किया। 2023 में हिमाचल प्रदेश के लेप्चा क्षेत्र में दीपावली मनाते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने नारी शक्ति और रक्षा निर्यात में हुई प्रगति का उल्लेख किया।
2024 में उन्होंने गुजरात के कच्छ का दौरा किया, जहां उन्होंने बीएसएफ, सेना, नौसेना और वायु सेना के जवानों को मिठाइयां खिलाईं और उनके उत्साह को बढ़ाया। इस प्रकार प्रधानमंत्री मोदी की यह परंपरा न केवल सैनिकों के साहस को मान्यता देती है, बल्कि नागरिकों को भी देश की सीमाओं की चुनौतियों और वीरता से जोड़ती है।
प्रधानमंत्री मोदी की इस दीपावली यात्रा से यह स्पष्ट संदेश गया कि भारत अपने सैनिकों की सेवा और समर्पण को हमेशा याद रखता है। उनका यह स्थायी जुड़ाव देशवासियों को यह भी याद दिलाता है कि हर दीपक का प्रकाश केवल घरों में नहीं, बल्कि उन बहादुर जवानों तक भी पहुंचता है, जो भारत की सीमाओं की सुरक्षा में दिन-रात तैनात हैं।
--आईएएनएस
डीएससी/वीसी