मुंबई, 27 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) कोई ऐसी संस्था नहीं है, जिसे किसी की मनमर्जी से चलाया जा रहा हो, बल्कि इसमें किसी भी निवेश के लिए कड़े नियम और कानून बनाए गए हैं। यह बयान सोमवार को लॉ फर्म क्रॉफर्ड बेली एंड कंपनी में सीनियर पार्टनर संजय अशर की ओर से दिया गया।
अमेरिकी मीडिया आउटलेट 'द वाशिंगटन पोस्ट' की ओर से एक आर्टिकल में तथ्यात्मक रूप से गलत, झूठे दावे और फर्जी नैरेटिव के जरिए एलआईसी के अदाणी ग्रुप में निवेश के बेबुनियाद आरोप पर अशर ने कहा कि एलआईसी देश की सबसे बड़ी निवेशकों में से एक है और वह इक्विटी और डेट दोनों में निवेश करती है।
अशर ने कहा, "एलआईसी कई वर्षों से कारोबार कर रही है। यह भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) द्वारा विनियमित है। एलआईसी का अपना बोर्ड, निवेश समिति, नियम, विनियम, मानदंड और डेट एवं इक्विटी, दोनों ही रूपों में कई इन्वेस्टमेंट सॉल्यूशंस में निवेश के लिए नियंत्रण एवं संतुलन व्यवस्था है। यह कोई अस्थायी संस्था नहीं है। इसे किसी की मनमर्जी से नहीं चलाया जा सकता है।"
एलआईसी पूरी जांच-पड़ताल के बाद पॉलिसीधारकों और शेयरधारकों, दोनों के पैसे निवेश करती है।
अमेरिकी मीडिया आउटलेट की रिपोर्ट पर उन्होंने आगे कहा कि एक बार जब आप बड़े हो जाते हैं और एक अग्रणी व्यावसायिक या औद्योगिक घराना बन जाते हैं, तो जाहिर है कि हर कोई आपको देख रहा होता है और आपके काम में कोई न कोई खामी जरूर निकाल लेता है।
अशर ने कहा, "हालांकि, यहां अदाणी ग्रुप ने कुछ भी गलत नहीं किया है।"
अशर ने कहा, "ऐसा नहीं है कि सिर्फ एलआईसी अदाणी समूह में ही निवेशक है। जहां तक मैं समझता हूं, कई अंतरराष्ट्रीय निवेशक हैं जिन्होंने अदाणी समूह की संस्थाओं के इक्विटी और डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश किया है।"
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर जेएन गुप्ता ने कहा कि ऐसी रिपोर्ट्स के पीछे छिपा हुआ एजेंडा होता है। यह हमने शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के समय पर भी देखा था, जो कि बिल्कुल झूठी साबित हुई।
उन्होंने आगे कहा कि एलआईसी का निवेश का प्रोसेस काफी जटिल है। केवल एक शीर्ष अधिकारी के बोलने से सरकारी बीमा कंपनी कोई शेयर नहीं खरीदती है, इसके लिए कड़े नियम हैं।
एलआईसी के निवेश के प्रोसेस पर विस्तार से बताते हुए गुप्ता ने कहा कि एलआईसी किसी म्यूचुअल फंड, व्यक्तिगत निवेश या किसी विदेशी निवेशक के तरीके से निवेश नहीं करता है, क्योंकि बीमा पॉलिसी काफी लंबी अवधि की होती हैं तो इस वजह से सरकारी बीमा कंपनी 30-40 वर्षों तक के लिए भी निवेश करती है।
--आईएएनएस
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