नई दिल्ली, 12 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कोल्हापुरी चप्पलों का निर्यात अब हर साल 1 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। यह संभावना इसलिए बढ़ी है क्योंकि इटली की मशहूर फैशन कंपनी प्राडा ने भारत की दो सरकारी कंपनियों के साथ मिलकर कोल्हापुरी-स्टाइल सैंडल बनाने के लिए एक समझौता (एमओयू) किया है।
गोयल ने कहा कि उन्हें बहुत खुशी हुई जब उन्होंने सुना कि प्राडा और भारत के कोल्हापुरी चप्पल बनाने वाले कारीगर एक साथ काम करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह अकसर सोचते थे कि कोल्हापुरी चप्पलें अपने सुंदर डिजाइन, हाथ से बनने वाली कला, चमकीले रंग और पहनने में आरामदायक होने के बावजूद एक बड़ा वैश्विक ब्रांड क्यों नहीं बन पातीं।
गोयल ने आगे कहा कि उन्हें खुशी है कि प्राडा ने इस कला को पहचाना और अब दुनिया भर में लोग कोल्हापुरी चप्पलों को एक नए रूप में देख पाएंगे। उन्होंने कहा कि उनका सपना है कि भारत से कोल्हापुरी चप्पलों का निर्यात 1 अरब डॉलर तक पहुंचे और अब यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
इटली के उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री एंटोनियो तजानी से मिलने के बाद पीयूष गोयल ने कहा कि यह लक्ष्य इसलिए भी संभव है क्योंकि जो लोग एक बार कोल्हापुरी चप्पल पहन लेते हैं, वह फिर कोई और चप्पल पहनना ही नहीं चाहते।
यह समझौता मुंबई में इटली के कॉन्सुलेट जनरल (वाणिज्य दूतावास) में हुआ। इसमें लिडकॉम और लिडकार नाम की दो सरकारी कंपनियां शामिल हैं। प्राडा की तकनीकी टीम ने कोल्हापुर जाकर वहां के कारीगरों से मिलकर पारंपरिक तरीके से चप्पल बनाने की प्रक्रिया को समझा।
प्राडा की कोल्हापुरी-स्टाइल सैंडल को फरवरी 2026 में दुनिया के 40 चुनिंदा प्राडा स्टोर्स और उसके ई-कॉमर्श प्लेटफॉर्म पर लॉन्च किया जाएगा।
इससे पहले, इस साल प्राडा को कारीगरों को श्रेय दिए बिना 1.2 लाख रुपए में कोल्हापुरी-स्टाइल सैंडल बेचने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा था। इसके बाद कंपनी ने अपने अधिकारियों को भारत भेजा।
गोयल ने कहा कि भारत यूरोपियन यूनियन (ईयू) के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट करने के लिए प्रतिबद्ध है और वह इटली के साथ तकनीक, रक्षा, कपड़ा, कृषि और फूड प्रोसेसिंग जैसे क्षेत्रों में और मजबूत साझेदारी बनाना चाहता है।
-- आईएएनएस
दुर्गेश बहादुर/एबीएस