मुंबई, 21 जुलाई (आईएएनएस)। भारत का माइक्रोफाइनेंस सेक्टर अगले 5 से 6 वर्षों में 15 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़कर 10 लाख करोड़ रुपए के आंकड़े पर पहुंच सकता है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में सोमवार को दी गई।
एवेंडस कैपिटल की रिपोर्ट में बताया गया कि कई बार गिरावट के बाद भी यह सेक्टर मजबूत बना हुआ है और दोबारा से नई तेजी के लिए तैयार है।
रिपोर्ट में कहा गया कि अगले पांच से छह वर्षों में इस क्षेत्र के ऐतिहासिक क्रॉस-साइक्लिकल आरओई पर वापस लौटने की उम्मीद है, जो 15-20 प्रतिशत के बीच है। यह बदलाव बेहतर ऋण अनुशासन, इंडस्ट्री की अग्रणी कंपनियों द्वारा परिचालन रिइंजीनियरिंग और मजबूत नियामक निगरानी से प्रेरित है।
रिपोर्ट में बताया गया कि विविध भौगोलिक संभावनाएं और ग्रामीण बाजार में गहरी पैठ वित्तीय समावेशन के लिए नए दरवाजे खोल रही है, जबकि न्यू-टू-क्रेडिट (एनटीसी) ग्राहकों की बढ़ती संख्या के कारण उद्योग के उधारकर्ता आधार का विस्तार हो रहा है।
एआई-संचालित तकनीकों को तेजी से अपनाने से परिचालन दक्षता में और वृद्धि हो रही है और स्मार्ट, डेटा-संचालित ऋण संबंधी निर्णय लेना संभव हो रहा है।
एवेंडस कैपिटल के वित्तीय संस्थान समूह निवेश बैंकिंग के प्रबंध निदेशक और प्रमुख अंशुल अग्रवाल ने बताया, "माइक्रोफाइनेंस उद्योग ने हाल के वर्षों में मजबूत लचीलापन दिखाया है, मंदी का दौर कम समय के लिए रहा है। यह प्रगति एमएफआईएन सुरक्षा और सीजीएफएमयू योजना जैसी जानबूझकर की गई नियामक कार्रवाइयों का प्रत्यक्ष परिणाम है, जिसका उद्देश्य उधारकर्ताओं के अत्यधिक ऋण लेने पर अंकुश लगाना और परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार करना है।"
रिपोर्ट में बताया गया कि जमीनी स्तर पर पहले से ही सकारात्मक संकेत दिखाई दे रहे हैं। आने वाले समय में मजबूत उधारकर्ता अनुशासन और बेहतर ऋण आधार देखने को मिलेगा।
रिपोर्ट के अनुसार, 16 राज्यों में वर्तमान प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति (एयूएम) की पहुंच 35 प्रतिशत होने के कारण, बड़े पैमाने पर रिक्त स्थान मौजूद हैं, जो इस सेक्टर में विस्तार की पर्याप्त गुंजाइश को दर्शाता है। अनौपचारिक बाजारों में ऋण की निरंतर मांग एमएफआई के लिए अपनी पहुंच बढ़ाने और वित्तीय समावेशन को और आगे बढ़ाने का एक आकर्षक अवसर प्रस्तुत करती है।
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