मुंबई, 28 जून (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत की सूचीबद्ध निजी क्षेत्र की गैर-वित्तीय कंपनियों ने वित्त वर्ष 2025 के दौरान 7.2 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज की, जबकि पिछले वर्ष यह 4.7 प्रतिशत थी।
आरबीआई के एक बयान के अनुसार, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की कंपनियों की बिक्री में वित्त वर्ष 2025 में 6.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि पिछले वर्ष 3.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, जिसमें ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रिकल मशीनरी, खाद्य और पेय पदार्थ तथा दवा उद्योग का योगदान सबसे अधिक रहा।
हालांकि, पेट्रोलियम, लोहा और इस्पात उद्योगों ने वित्त वर्ष 2025 के दौरान कीमतों में उतार-चढ़ाव और अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग में कमी के कारण अपनी बिक्री में कमी दर्ज की।
वैश्विक प्रतिकूलताओं के बावजूद, आईटी कंपनियों की बिक्री वृद्धि पिछले वर्ष के 5.5 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 7.1 प्रतिशत हो गई।
दूरसंचार, परिवहन और भंडारण सेवाओं के साथ-साथ थोक और खुदरा व्यापार उद्योगों के मजबूत प्रदर्शन की वजह से, गैर-आईटी सेवा कंपनियों ने 2024-25 के दौरान दोहरे अंकों की बिक्री वृद्धि दर्ज की।
आरबीआई का विश्लेषण 3,902 सूचीबद्ध गैर-सरकारी गैर-वित्तीय कंपनियों के वित्तीय विवरणों पर आधारित है।
आरबीआई ने कहा कि बिक्री में तेजी के अनुरूप मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए कच्चे माल पर खर्च वित्त वर्ष 2025 में 6.6 प्रतिशत बढ़ा। रॉ-मटीरियल-टू-सेल्स रेश्यो वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 55.7 प्रतिशत हो गया, जो एक वर्ष पहले 54.2 प्रतिशत था।
मैन्युफैक्चरिंग, आईटी और गैर-आईटी सेवा कंपनियों के लिए वित्त वर्ष 2025 में कर्मचारियों की लागत में क्रमशः 10 प्रतिशत, 4.4 प्रतिशत और 12.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए कर्मचारियों की स्टाफ कॉस्ट-टू-सेल्स रेश्यो स्थिर रहा, जबकि सेवा कंपनियों के लिए यह कम हुआ।
हालांकि, इनपुट लागत में वृद्धि के कारण, मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों की परिचालन लाभ वृद्धि 2024-25 के दौरान पिछले वर्ष के 12.4 प्रतिशत से घटकर 6 प्रतिशत रह गई।
गैर-आईटी सेवा कंपनियों के लिए 2024-25 में लाभ वृद्धि घटकर 15.9 प्रतिशत रह गई, जबकि आईटी कंपनियों के लिए यह बढ़कर 6.1 प्रतिशत हो गई।
मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के मामले में 2024-25 के दौरान परिचालन लाभ मार्जिन 20 आधार अंकों (बीपीएस) से घटकर 14.2 प्रतिशत हो गया, जबकि आईटी कंपनियों के लिए यह 80 बीपीएस घटकर 21.9 प्रतिशत रह गया।
हालांकि, कंपनियों ने इंटरेस्ट कवरेज रेश्यो के साथ मजबूत वित्तीय स्थिति को दर्शाया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 2024-25 के दौरान प्रमुख क्षेत्रों में डेट सर्विसिंग क्षमता को दर्शाता है।
--आईएएनएस
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