नई दिल्ली, 11 जून (आईएएनएस)। भारत ने पिछले एक दशक में बड़े पैमाने पर इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में विकास देखा है, जो पीएम गतिशक्ति, राष्ट्रीय रसद नीति, भारतमाला, सागरमाला और उड़ान जैसी प्रमुख राष्ट्रीय पहलों के तहत समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण की सफलता को दिखाता है। यह जानकारी बुधवार को जारी एक आधिकारिक रिपोर्ट में दी गई।
यह रिपोर्ट पिछले 10 वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर किए गए निवेश से राजमार्गों, रेलवे, समुद्री और नागरिक उड्डयन क्षेत्रों में देश के परिवहन इन्फ्रास्ट्रक्चर में हुए तेज बदलाव को दर्शाती है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि पीएम गतिशक्ति ने जीआईएस-आधारित प्लेटफॉर्म पर 44 मंत्रालयों और 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में एकीकृत योजना बनाई है।
2021 में लॉन्च हुए पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान भारत के आर्थिक क्षेत्रों में मल्टीमॉडल इंफ्रास्ट्रक्चर कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए एक व्यापक पहल है।
इस एकीकृत प्लेटफॉर्म के माध्यम से 100 लाख करोड़ रुपए का कुशलतापूर्वक उपयोग किया जा रहा है।
सात प्रमुख क्षेत्रों रेलवे, सड़क, बंदरगाह, जलमार्ग, हवाई अड्डे, जन परिवहन और रसद बुनियादी ढांचे पर आधारित यह मंत्रालयों और राज्य सरकारों में समन्वित विकास को बढ़ावा देता है।
पिछले दशक के दौरान भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क की लंबाई 91,287 किलोमीटर से 60 प्रतिशत बढ़कर 1,46,204 किलोमीटर हो गई, जिसमें राजमार्ग निर्माण की गति 2014 में 11.6 किलोमीटर प्रति दिन से बढ़कर 34 किलोमीटर प्रति दिन हो गई।
2013-14 और 2024-25 के बीच सड़क बुनियादी ढांचे में केंद्र के निवेश में 6.4 गुना वृद्धि हुई है।
2014 से 2023-24 तक सड़क परिवहन और राजमार्ग बजट में 570 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
2014 से भारतीय रेलवे के बजट में नौ गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। 24 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और 333 जिलों को कवर करने वाली नई वंदे भारत सेमी-हाई-स्पीड ट्रेनों की शुरुआत से उच्च निवेश दिखाई देता है।
देश में वर्तमान में कुल 68 वंदे भारत ट्रेनें चल रही हैं, जबकि 400 अन्य विश्व स्तरीय वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण की योजना है।
2014 से अब तक 31,000 किलोमीटर से अधिक नई पटरियां बिछाई गई हैं और 2014 से अब तक 45,000 किलोमीटर से अधिक पटरियों का नवीनीकरण किया गया है।
ट्रैक नेटवर्क के विद्युतीकरण की गति 2004-14 के बीच 5,188 रूट किलोमीटर से बढ़कर 2014-25 में 45,000 से अधिक रूट किलोमीटर तक पहुंच गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विद्युतीकरण से रेलवे को (फरवरी 2025 तक) 2,960 करोड़ रुपए की वार्षिक बचत हुई है, जिससे वित्तीय दक्षता में वृद्धि हुई है।
इसमें आगे बताया गया है कि पिछले 10 वर्षों में देश की बंदरगाह क्षमता दोगुनी होकर 2,762 एमएमटीपीए हो गई है, साथ ही जहाजों के लिए कुल टर्नअराउंड समय 93 से 49 घंटे तक सुधर गया है।
बंदरगाह के बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए सागरमाला के तहत 277 परियोजनाएं पूरी की गई हैं। रिपोर्ट में बंदरगाह क्षेत्र में पूरी की गई प्रमुख परियोजनाओं की भी सूची दी गई है, जिसमें विझिनजाम इंटरनेशनल डीपवाटर मल्टीपर्पज सीपोर्ट भी शामिल है।
2 मई, 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किया जाने वाला यह 8,800 करोड़ रुपए की परियोजना भारत का पहला समर्पित कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट है।
अंतरराष्ट्रीय शिपिंग मार्गों के पास रणनीतिक रूप से स्थित, यह दुनिया के सबसे बड़े मालवाहक जहाजों की मेजबानी कर सकता है। यह विदेशी बंदरगाहों पर भारत की निर्भरता को काफी कम करता है और केरल में आर्थिक गतिविधि को बढ़ाता है।
कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में नया ड्राई डॉक (एनडीडी) 1,800 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है, जिसकी लंबाई 310 मीटर और गहराई 13 मीटर है। यह 70,000 टन तक के विमानवाहक पोतों को संभालने में सक्षम है। इसके अलावा, कोचीन में एक अंतरराष्ट्रीय जहाज मरम्मत सुविधा स्थापित की गई है।
पिछले 10 वर्षों में भारत के अंतर्देशीय जलमार्ग कार्गो में 710 प्रतिशत (18 एमएमटी से 146 एमएमटी) की वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (हल्दिया से वाराणसी) की क्षमता बढ़ाने के लिए 5,370 करोड़ रुपए के निवेश को भी मंजूरी दी गई है, यह प्रमुख अंतर्देशीय नेविगेशन पहल गंगा नदी पर कार्गो की आवाजाही को बढ़ाती है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि देश के नागरिक उड्डयन परिदृश्य में नए मार्ग और नए हवाई अड्डे जोड़े गए हैं। भारत में चालू हवाई अड्डों की संख्या 2014 में 74 से बढ़कर 2025 में 160 हो गई है। आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने 4,500 करोड़ रुपए की कुल लागत से असेवित और कम सेवा वाले हवाई अड्डों के पुनरुद्धार और विकास को मंजूरी दी है। इसके अलावा व्यय वित्त समिति ने उड़ान योजना के तहत 50 और हवाई अड्डों, हेलीपोर्ट और जल हवाई अड्डों के विकास के लिए 1,000 करोड़ रुपए की राशि को भी मंजूरी दी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जून 2016 में शुरू की गई यह प्रमुख योजना क्षेत्रीय मार्गों पर किफायती, फिर भी आर्थिक रूप से व्यवहार्य और लाभदायक हवाई यात्रा बनाने के लिए एक बड़ी सफलता रही है, जिसमें 1.51 करोड़ से अधिक यात्री उड़ान भर चुके हैं।
--आईएएनएस
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