भारत और कनाडा के बीच दुर्लभ खनीजों, स्वच्छ ऊर्जा और आपूर्ति-श्रृंखला में साझेदारी की अपार संभावनाएं : पीयूष गोयल

भारत और कनाडा के बीच दुर्लभ खनीजों, स्वच्छ ऊर्जा और आपूर्ति-श्रृंखला में साझेदारी की अपार संभावनाएं : पीयूष गोयल

नई दिल्ली, 24 नवंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को कहा कि भारत और कनाडा के बीच दुर्लभ खनिजों, खनिजों के प्रसंस्करण की टेक्नोलॉजी, स्वच्छ ऊर्जा और आपूर्ति-श्रृंखला विविधीकरण में साझेदारी की अपार संभावनाएं हैं।

राष्ट्रीय राजधानी में इंडो-कैनेडियन बिजनेस चैंबर में लोगों को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कम्प्यूटिंग, मशीन लर्निंग और अगली-पीढ़ी के डेटा सेंटर्स जैसी उभरती हुई टेक्नोलॉजी में मजबूत लाभ पेश करता है और इससे दुनिया के सबसे ग्रेजुएट के वार्षिक पूल से समर्थन प्राप्त है।

उन्होंने कहा कि कनाडा और भारत स्वाभाविक सहयोगी हैं, जिनकी पूरक शक्तियां दोनों देशों में व्यवसायों और निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण अवसर पैदा करती हैं।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत-कनाडा की साझेदारी आपसी विश्वास, लोकतांत्रिक मूल्यों और विकास के प्रति साझा प्रतिबद्धता पर आधारित है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि व्यापार, निवेश और उभरते क्षेत्रों में लगातार बढ़ती भागीदारी के साथ द्विपक्षीय संबंध मजबूत और स्थिर बने हुए हैं।

जोहान्सबर्ग में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडाई प्रधान मंत्री मार्क कार्नी के बीच बैठक का जिक्र करते हुए, गोयल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि दोनों नेता एक उच्च महत्वाकांक्षी व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) और 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने के लिए बातचीत शुरू करने पर सहमत हुए। उन्होंने कहा कि सीईपीए दोनों देशों के बीच विश्वास को दर्शाता है, निवेशकों के विश्वास को मजबूत करता है और आपसी सम्मान के आधार पर मुद्दों के समाधान के लिए एक मजबूत रूपरेखा प्रदान करता है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत की 500 गीगावाट की ऊर्जा क्षमता में 50 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी (250 गीगावाट) स्वच्छ ऊर्जा की है। यह मजबूत एआई संचालित इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारत का लक्ष्य अपनी स्वच्छ ऊर्जा क्षमता को बढ़ाकर 500 गीगावाट करना है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दोनों देशों को 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के तहत महत्वपूर्ण खनिज, स्वच्छ ऊर्जा, एयरोस्पेस, रक्षा और विनिर्माण सहित सहयोग के केंद्रित क्षेत्रों की पहचान करनी चाहिए। भारतीय क्षमताओं के साथ मिलकर कनाडाई इनोवेशन दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण अवसर पैदा कर सकता है।

--आईएएनएस

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