नई दिल्ली,30 मई (आईएएनएस)। 2025 की पहली तिमाही में गोल्ड की निवेश मांग सालाना आधार पर 170 प्रतिशत बढ़कर 552 टन पर पहुंच गई है। यह 2022 की पहली तिमाही में रूस-यूक्रेन युद्ध के फैलने के बाद देखे गए स्तर के बराबर है। शुक्रवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट वेल्थ की रिपोर्ट में बताया गया कि गोल्ड की निवेश मांग बढ़ने की वजह गोल्ड ईटीएफ में इनफ्लो बढ़ना है। जनवरी-मार्च अवधि के दौरान विश्व में गोल्ड ईटीएफ होल्डिंग्स 226 टन बढ़कर 3,445 टन पर पहुंच गई है।
रिपोर्ट में बताया गया कि मार्च तिमाही में यूरोप में लिस्टेड ईटीएफ फंड्स ने 55 टन गोल्ड जोड़ा। वहीं, एशिया में लिस्टेड ईटीएफ फंड्स ने 34 टन गोल्ड जोड़ा, जिसमें से अधिकांश मांग अमेरिका के साथ बढ़ते व्यापारिक तनाव के कारण चीन में लिस्टेड फंड्स से आई। भारत में गोल्ड ईटीएफ होल्डिंग्स में 11 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि देखने को मिली है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 की पहली तिमाही में गोल्ड की कीमतों में काफी उछाल देखने को मिला है। इसकी वजह वैश्विक स्तर पर तनाव, टैरिफ वार और अमेरिकी डॉलर का कमजोर होना है।
2025 की पहली तिमाही में गोल्ड की आपूर्ति 1,206 टन रही है। इसमें सालाना आधार पर एक प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई है। यह 2016 की पहली तिमाही के बाद सबसे बड़ा आंकड़ा है। वहीं, डिमांड वॉल्यूम में मामूली बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, गोल्ड की कीमतें बढ़ने के कारण वैल्यू में सालाना आधार पर 40 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक, कीमतों में बढ़ोतरी की एक वजह दुनिया के केंद्रीय बैंकों की ओर से बड़ी मात्रा में गोल्ड खरीदना है। 2025 की पहली तिमाही में केंद्रीय बैंकों ने 244 टन गोल्ड खरीदा है। इससे संकेत मिलता है कि वैश्विक अस्थिरता के दौर में केंद्रीय बैंक गोल्ड को आकर्षक विकल्प के रूप में देख रहे हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मार्च में 0.6 टन गोल्ड खरीदा है, जिससे भारत के केंद्रीय बैंक का गोल्ड रिजर्व बढ़कर 879.6 टन हो गया है, जो कि कुल फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व का 11.7 प्रतिशत है। बीते वर्ष आरबीआई ने 57.5 टन गोल्ड खरीदा था।
रिपोर्ट में बताया गया कि बढ़ी हुई कीमतों के कारण देश में गोल्ड ज्वेलरी की मांग 2025 की पहली तिमाही में सालाना आधार पर 25 प्रतिशत गिरकर 71 टन रह गई है। यह 2020 की तीसरी तिमाही के बाद वॉल्यूम का सबसे कम स्तर है।
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