'गाता रहे मेरा दिल' से लेकर 'दीवाना मस्ताना हुआ दिल' तक देव आनंद के सदाबहार गाने

देव आनंद के फाइल फोटो

नई दिल्ली, 24 सितंबर (आईएएनएस)। देव आनंद की फिल्मों का म्यूजिक भी पर्दे पर और उसके बाहर भी फैशनेबल था, जो लोगों के बीच लोकप्रिय था और सदाबहार बना हुआ है।

अपने छह दशक से अधिक के करियर में, देव आनंद ने लगभग 120 फिल्में कीं और उनमें से लगभग सभी अपने म्यूजिक के लिए हिट रहीं। इसका एक प्रमुख कारण उनके साथी दिलीप कुमार और राज कपूर की तुलना में संगीतकारों और गायकों की विविधता हो सकती है।

राज कपूर के पास मुख्य रूप से उनकी आवाज के रूप में मुकेश और संगीत के लिए शंकर जयकिशन थे, दिलीप कुमार ने कुछ समय के लिए तलत महमूद पर भरोसा किया, और फिर संगीतकार नौशाद और गीतकार शकील बदायुनी द्वारा समर्थित मोहम्मद रफी पर भरोसा किया।

दूसरी ओर, देव आनंद ने अदम्य किशोर कुमार के साथ शुरुआत की, जो तब अपने पैर जमा रहे थे, लेकिन उन्हें मुकेश के मधुर स्वर, तलत की तरकीब, हेमंत कुमार की धुन और रफी की प्रतिभा ने भी आगे बढ़ाया। 1970 के दशक में किशोर हमेशा के लिए उनके साथ थे।

और फिर, एसडी बर्मन के अलावा, उन्होंने शंकर-जयकिशन, ओपी नैय्यर, कल्याणजी-आनंदजी, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, राजेश रोशन के साथ-साथ राहुल देव बर्मन और गीतकार हसरत जयपुरी, मजरूह सुल्तानपुरी, गोपालदास नीरज, शैलेन्द्र और आनंद बख्शी की संगीत क्षमताओं का उपयोग किया। 

आइए जानते है, देव आनंद के वो गाने, जो सदाबहार रहे हैं।

"लाई खुशी की दुनिया": उन कुछ गानों में से एक है जहां मुकेश देव आनंद की आवाज थे, पारिवारिक नाटक "विद्या" (1948) से सुरैया के साथ यह शानदार कपल की नेचुरल केमिस्ट्री को दर्शाता है, जिसे उनके वास्तविक जीवन में दोहराया नहीं जा सका। एसडी बर्मन ने म्यूजिक दिया और अंजुम पीलीभीती ने गीत लिखे।

"जीवन के सफर में राही": दार्शनिक आधार के साथ एक मनोरंजक गाना, जिसे देव आनंद ने छोटी नलिनी जयवंत के साथ ड्राइवर की भूमिका निभाते हुए गाया था, "मुनीमजी" (1955) के इस गाने में किशोर कुमार की आवाज़, बड़े बर्मन का संगीत और साहिर लुधियानवी का संगीत था। 

"हम बेखुदी में तुमको पुकारे चले": देव आनंद की फिल्म "काला पानी" (1958) का यह गीत मजरूह सुल्तानपुरी द्वारा लिखा गया और सचिन दा द्वारा संगीतबद्ध किया गया था।

"खोया खोया चांद": "काला बाजार" (1960) के इस गाने में देव आनंद ने ब्लैक स्वेटर और कॉलर तक बटन वाली शर्ट पहनी थी, जिसमें वह स्टाइलिश दिख रहे थे। इस गाने में बर्मन दादा ने संगीत दिया और शैलेन्द्र ने लिरिक्स लिखे।

"दीवाना मस्ताना हुआ दिल": "बंबई का बाबू" (1960) के इस क्लासिक-रंग वाले रैप्सोडी में देव आनंद की सुचित्रा सेन के साथ एक अभूतपूर्व जोड़ी थी। रफी और आशा भोंसले का यह गाना, एसडी बर्मन द्वारा संगीतबद्ध और मजरूह द्वारा लिखा गया था।

"मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया": "हम दोनों" (1961) से, यह ट्रेडमार्क देव आनंद गीत है, जिसके बोल न केवल उनके द्वारा निभाई गई भूमिका बल्कि उनके स्वयं के जीवन दर्शन की मानसिकता का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। गाने में रफी की जादुई आवाज, जयदेव का संगीत और साहिर लुधियानवी के लिरिक्स हैं।

"तू कहां ये बता इस नशीली रात में": "तेरे घर के सामने" (1963) में एक गाने में सुनसान सड़कों पर देव आनंद, नूतन को ढूंढते हैं। गाने में रफी की आवाज थी, सचिन दा संगीतकार और हसरत जयपुरी गीतकार हैं।

"ख्वाब हो तुम या कोई हकीकत": "तीन देवियां" (1965) का यह गाना भी डैपर देव आनंद के लिए विशेष रूप से बनाया गया लगता है। किशोर ने एसडी बर्मन के जोशीले संगीत और मजरूह के भावोत्तेजक गीतों की बेहतरीन प्रस्तुति दी।

"गाता रहे मेरा दिल": "गाइड" (1965) के शानदार साउंडट्रैक से देव आनंद के लिए इस गाने को किशोर और लता ने साथ मिलकर गाया था।  

--आईएएनएस

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