नई दिल्ली, 13 जून (आईएएनएस)। भारतीय बैंकों ने वित्त वर्ष 2025 के दौरान एसेट क्वालिटी को लेकर शानदार सुधार दर्ज करवाया। यह सुधार नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) में कम नेट एडिशन के कारण देखा गया। यह जानकारी शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।
केयरएज रेटिंग्स द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, इस ट्रेंड ने बैंक्स को अपनी बैलेंस शीट मजबूत करने में मदद की है, जबकि ऋण लागत में कमी जारी रही है, जिससे समग्र लाभप्रदता में वृद्धि हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंक (एससीबी) के लिए ग्रॉस एनपीए (जीएनपीए) अनुपात वित्त वर्ष 2025 के अंत तक 2.3 प्रतिशत तक पहुंच गया, जो हाल के वर्षों में सबसे कम स्तरों में से एक है।
इस सुधार को स्थिर रिकवरी, हाई राइट-ऑफ और कम स्लिपेज से सपोर्ट मिला है।
पिछले दशक में बैंकों ने बड़े कॉर्पोरेट लोन से रिटेल लेंडिंग पर ध्यान केंद्रित किया है, जो अब कुल एडवांस का 34 प्रतिशत है, जबकि 2015 में यह केवल 19 प्रतिशत था।
औद्योगिक क्षेत्र के एनपीए में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई, जो मार्च 2018 में 22.8 प्रतिशत से घटकर दिसंबर 2024 में केवल 2.7 प्रतिशत रह गई।
कृषि में भी, इसी अवधि में जीएनपीए घटकर 6.2 प्रतिशत रह गया। दिसंबर 2024 में रिटेल सेक्टर के एनपीए 1.2 प्रतिशत पर कम रहे।
केयरएज रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक संजय अग्रवाल ने कहा, "एनपीए में नेट एडिशन मोटे तौर पर कम रहा है, जिससे इस सेक्टर में मुख्य एसेट क्वालिटी नंबर में लगातार कमी देखी जा रही है।"
उन्होंने कहा, "हालांकि, पर्सनल लोन सेगमेंट के तनाव का सामना करने के साथ, नए स्लिपेज बढ़ सकते हैं और रिकवरी धीरे-धीरे कम हो सकती है।"
अग्रवाल ने उच्च ब्याज दरों, विनियामक परिवर्तनों और टैरिफ वृद्धि जैसी वैश्विक बाधाओं जैसे नकारात्मक जोखिमों के बारे में भी चेतावनी दी।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (पीएसबी), विशेष रूप से, किसी भी झटके को झेलने के लिए अच्छी तरह से तैयार हैं, उनके पास 75 प्रतिशत से 80 प्रतिशत के बीच मजबूत प्रोविजन कवरेज रेश्यो है।
निजी क्षेत्र के बैंकों के पास कुल मिलाकर कम एनपीए होने के साथ-साथ सॉलिड बफर भी हैं।
वित्त वर्ष 2022 में 0.86 प्रतिशत से वित्त वर्ष 2025 में 0.41 प्रतिशत तक ऋण लागत में कमी आई है, जो प्रावधान की कम जरूरतों और बेहतर रिकवरी को दर्शाता है।
--आईएएनएस
एसकेटी/