नई दिल्ली, 26 नवंबर (आईएएनएस)। भारत के मुंबई में हुए 2008 के आतंकी हमलों की आज 17वीं बरसी है। यह सोची-समझी साजिश वाला एक ऐसा आतंकी हमला था, जिसने भारत की आर्थिक राजधानी को ही नहीं पूरे देश को अंदर तक हिलाकर रख दिया था। यह उन घटनाओं में से एक था, जब पाकिस्तानी सरकार भारत में आतंक फैलाते हुए रंगे हाथों पकड़ी गई थी।
इस हमले के पीछे का आतंकी और पाकिस्तानी नागरिक अजमल कसाब पकड़ा गया। कसाब ने मुंबई में आतंकी हमलों की साजिश रचने वाले पाकिस्तानी हैंडलर्स के बारे में चौंकाने वाले खुलासे किए। इसने भारत में आतंक फैलाने के पाकिस्तान के नापाक इरादों को दुनिया के सामने रख दिया।
जब देश 26/11 मुंबई आतंकी हमलों की 17वीं बरसी पर पीड़ितों, बचे हुए लोगों और शहीद हुए हीरो को श्रद्धांजलि दे रहा है, तो यहां भारत की जमीन पर हुए कई पाक-प्रायोजित आतंकी हमलों के बारे में पढ़ें।
दिल्ली के एक संगठन ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि कैसे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन और आईएसआई ज्यादातर घटनाओं में शामिल थे। दिल्ली के एनजीओ नटस्ट्रैट ने 1947 से भारत में पाकिस्तान के समर्थन से हुए आतंकी हमलों पर पूरी रिपोर्ट साझा की है।
नटस्ट्रैट स्ट्रेटेजिक और सिक्योरिटी मामलों पर रिसर्च करने वाला सेंटर है। इसने भारत में पाकिस्तानी आतंकी हमलों की एक डिटेल्ड टाइमलाइन तैयार की है, जिसमें 1947 में आजादी से लेकर 2025 में पहलगाम हत्याकांड तक का समय बताया गया है।
इनमें से ज्यादातर आतंकी हमले पाकिस्तान के आतंकी समूहों से जुड़े हैं, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम), और हरकत-उल-मुजाहिदीन (एचयूएम) शामिल हैं। ज्यादातर हमलों को अक्सर पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के समर्थन से अंजाम दिया गया है।
यह रिपोर्ट पड़ोसी देश पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ आतंकवाद को अपनी सरकारी नीति के तौर पर अपनाने के बारे में बताती है। इसमें 1947 से अलग-अलग समय के हिसाब से पांच चरणों में बांटी गई 26 आतंकी घटनाओं का ब्यौरा दिया गया है।
रिपोर्ट में भारत में कई तरह के आतंकी हमले करने में पाकिस्तान और उसकी आईएसआई की भूमिका बताई गई है। सुसाइड बॉम्बिंग से लेकर बॉर्डर पार से घुसपैठ और 1999 के कारगिल युद्ध जैसे बड़े पैमाने पर मिलिट्री हमले का जिक्र है, जो बाद में नार्को-टेररिज्म, इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर और यहां तक कि साइबर-अटैक में बदल गए।
इसमें कहा गया है कि पार्लियामेंट पर हमला (2001) और आईसी-814 हाईजैकिंग (1999) पाकिस्तान की आईएसआई के सक्रिय कोऑर्डिनेशन के बिना मुमकिन नहीं हो सकते थे।
पाकिस्तान-समर्थित आतंक के पहले दो चरण 1947-1971 और 1972-1989 के बीच हुए थे। आजादी के बाद पहले दो दशकों में पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के पुंछ में बगावत को हवा दी। इसके अलावा, पूर्वोत्तर में बागियों का समर्थन किया और फिर 1965 और 1971 में दो बड़े पैमाने पर सैन्य लड़ाइयों में हिस्सा लिया।
दूसरे फेज में, 1972-1989 तक पाकिस्तान की आईएसआई ने लीड ली और खालिस्तान मूवमेंट और हाईजैकिंग की घटनाओं को हवा दी, जिसमें 30 जनवरी, 1971 को इंडियन एयरलाइंस के प्लेन (श्रीनगर-लाहौर) को हाईजैक करना और फिर 2 फरवरी, 1971 को उसे उड़ा देना शामिल था। अगस्त 1984 में, श्रीनगर जा रहे एक और प्लेन को सिख अलगाववादियों ने हाईजैक कर लिया और यूएई ले गए, जहां हाईजैकर्स ने सेना के सामने सरेंडर कर दिया।
1971 के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को धूल चटाया था। 1971 के बाद से 1990 के दशक तक माहौल काफी समय तक शांत रहा। हालांकि, इसके बाद पाक समर्थित आईएसआई ने जम्मू और कश्मीर में आतंकवादी ऑपरेशन फिर से शुरू करने के अपने नापाक इरादों के साथ गतिविधि तेज कर दी।
के2 प्रोजेक्ट के तहत, पाकिस्तान की आईएसआई ने खालिस्तान आंदोलन के साथ पंजाब को अस्थिर करने की साजिश रची। इनका मकसद भारत की अंदरूनी सुरक्षा स्थिति कमजोर करना था, ताकि जम्मू और कश्मीर में आईएसआई अपनी पैठ बना सके।
1990 के दशक में पूरे देश में कई बम धमाके हुए, जिनमें मुंबई ब्लास्ट (1993), लाजपत नगर ब्लास्ट (1996), कोयंबटूर बम धमाके (1998), लाल किला हमला (2000), और 1999 का बदनाम कंधार प्लेन हाईजैक शामिल हैं।
अगले दो दशकों में, 2000 के दशक की शुरुआत से लेकर 2025 में पहलगाम हमले तक, भारत ने अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को बेनकाब किया। हालांकि, इसके बावजूद भी पाकिस्तान के रवैये में कुछ खास बदलाव देखने को नहीं मिला।
पाकिस्तानी आतंकवादियों ने 2001 में भारतीय संसद को अपना निशाना बनाया। इसके बाद फिर 2002 में अक्षरधाम मंदिर पर हमला हुआ। 2005 में, दिल्ली में कई धमाके हुए, जबकि 2006 और 2008 में, आर्थिक राजधानी मुंबई में आतंकवादी हमले देखे गए। 26/11 के हमले में करीब 175 लोगों की जान चली गई, जिसे 10 लश्कर आतंकवादियों ने मिलकर अंजाम दिया था।
पाकिस्तान-स्थित आईएसआई की मदद से हाल के आतंकवादी हमलों में ज्यादातर भारतीय सशस्त्र बलों को निशाना बनाया गया। पठानकोट आतंकवादी हमला (2016), उरी आतंकवादी हमला (2016), नगरोटा हमला (2016), पुलवामा हमला (2019), और पहलगाम हमला (2025) ने पाकिस्तान के नापाक इरादों को सबके सामने खोलकर रख दिया।
--आईएएनएस
केके/एबीएम