कच्छ, 24 नवंबर (आईएएनएस)। कच्छ नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा, यह बिल्कुल सही है। मीलों तक फैला कच्छ का सफेद रण, ऊंट की सवारी, कच्छ विलेज में स्थानीय परंपरा और कच्छी संस्कृति का दीदार और लोकल व्यंजनों का स्वाद। कच्छ के रण उत्सव में देश-विदेश से आए पर्यटकों के लिए काफी कुछ है, तभी तो टूरिस्ट इसकी तारीफ करते नहीं थकते।
पर्यटक प्रीति किरेचा ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि यहां के लोगों के स्वागत का अंदाज अनोखा है। लोग कहते हैं कि हम परिवार की तरह हैं। कच्छ स्थान बहुत ही सुंदर है। यहां बहुत सारी जगह हैं, जो बहुत ही मनोरम हैं। यह पर्यटन के लिए सबसे बेहतर स्थान है।
यह वही कच्छ है, जो 2001 में आए भूकंप में पूरी तरह तबाह हो गया था। लेकिन, तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे नए सिरे से संवारा, साथ ही 2005 में यहां रण उत्सव की शुरुआत कर इसे नई पहचान भी दिलाई।
आज कच्छ भारत ही नहीं दुनिया के टूरिज्म नक्शे में खास मुकाम हासिल कर चुका है। तीन साल पहले यहां बनाया गया स्मृति वन भूकंप म्यूजियम कच्छ की तबाही से विकास तक की यात्रा को संजोए हुए है और पर्यटकों को उस आपदा की विभीषिका का एहसास दिलाता है।
मुंबई से आई पर्यटक आरती राजपूत ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि यहां पर भूकंप आने से लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा था। यहां आने के बाद पता चला कि हमारा गुजरात कितनी तकलीफों से गुजरा है और जल्द ही रिकवर कर आगे बढ़ा है। पीएम मोदी की वजह से गुजरात में जो विकास हुआ है, वह सराहनीय है।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के मार्गदर्शन में कच्छ 2025-26 के रण उत्सव के लिए पूरी तरह तैयार हो चुका है और पिछले साल की तरह ही लाखों पर्यटकों को यादगार अनुभव दे रहा है।
कच्छ में पर्यटकों के लिए सफेद रण का पूनम का चांद, धोरडो, स्मृति वन और काला डूंगर के अलावा लखपत का गुरुद्वारा, कोटेश्वर महादेव और आशापुरा मंदिर जैसे कई अन्य टूरिस्ट डेस्टिनेशन भी हैं।
--आईएएनएस
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