गांधीनगर, 30 अगस्त (आईएएनएस)। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल शनिवार को 76वें वन महोत्सव समारोह के अंतर्गत खेडा जिले के गलतेश्वर में निर्मित हुए राज्य के 24वें सांस्कृतिक वन के लोकार्पण के लिए आए। उन्होंने सरनाल गांव स्थित गलतेश्वर मंदिर में महादेव की पूजा-अर्चना कर राज्य की जन सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की।
ठासरा तहसील के सरनाल गांव के पास महिसागर तथा गल्हाटी नदी के संगम स्थान पर स्थित पौराणिक गलतेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना के बाद मुख्यमंत्री ने मंदिर की परिक्रमा की। उन्होंने इस पौराणिक मंदिर के स्थापत्य को निहारा और वे गालव ऋषि की महिमा से परिचित हुए।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के साथ सांसद देवूसिंह चौहाण, पंचमहाल के सांसद राजपालसिंह जादव, ठासरा के विधायक योगेंद्रसिंह परमार, जिला कलेक्टर अमित प्रकाश यादव, जिला विकास अधिकारी जयंत किशोर, जिला पुलिस अधीक्षक विजय पटेल, वन संरक्षक मितलबेन सावंत व आनंद कुमार तथा अग्रणी नयनाबेन पटेल सहभागी हुए।
मध्य गुजरात में विकसित गुजरात का 24वां सांस्कृतिक वन, गलतेश्वर वन, एक नए दृष्टिकोण के साथ तैयार किया गया है, जिसमें कई अनूठे आकर्षण हैं। यह पूरा क्षेत्र गलतेश्वर महादेव मंदिर के बगल से बहती बारहमासी माही नदी की वजह से हरा-भरा रहता है।
एक दिन पहले मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल शुक्रवार को भावनगर में सिद्धि तप के आराधकों के सामूहिक पारणा अवसर पर उपस्थित हुए और वरघोड़ा (शोभायात्रा) को प्रस्थान कराया। श्री भावनगर जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक तपा संघ के प्रांगण में चातुर्मास के लिए विराजमान पू. गुरु भगवंतों की पावन निश्रा में यह भव्य पारणा महोत्सव आयोजित किया गया था।
मुख्यमंत्री ने 531 से अधिक सिद्धि तप करने वाले तपस्वियों के पारणा महोत्सव के अवसर पर शासन ध्वज फहराकर जिनालय से तपस्वियों की शोभायात्रा को रवाना किया। उन्होंने आराधकों को शुभकामनाएं भी दीं।
सीएम भूपेंद्र पटेल ने कार्यक्रम से जुड़ी से तस्वीरें शेयर करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ''श्री भावनगर जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक तप संघ के प्रांगण में, 531 से अधिक सिद्धि तपों की तपश्चर्या करने वाले परम पूज्य गुरु भगवंत के चातुर्मासिक निवास पर, पारणा महोत्सव के अवसर पर उपस्थित होकर, राजकीय ध्वजारोहण कर तपों के जुलूस को रवाना किया और उपासकों का अभिनंदन किया। इस अवसर पर जैन साधु-साध्वीजी ने भगवंतों का आशीर्वाद प्राप्त किया। सभी तपस्वियों को वंदन करने के पश्चात, उन्होंने समस्त श्री संघ को मिच्छामि दुक्कड़म अर्पित किया। हमारी संस्कृति है कि तपस्वियों के दर्शन मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है। जितना अधिक हम तप के माध्यम से साधु-संतों के चरणों में रहते हैं, उतना ही अधिक आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है। मुझे बहुत खुशी है कि मुझे एक साथ इतने सारे तपस्वियों के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।''
--आईएएनएस
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