चुनाव में बीएनपी की जीत के बाद भारत-बांग्लादेश के बीच बेहतर संबंध संभव : केपी फैबियन

चुनाव में बीएनपी की जीत के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच अच्छे हो सकते हैं संबंध: केपी फैबियन

नई दिल्ली, 25 दिसंबर (आईएएनएस)। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के एक्टिंग चेयरपर्सन तारिक रहमान ने करीब 17 सालों के बाद वतन वापसी की है। बीएनपी के कार्यवाहक अध्यक्ष की वापसी पर पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। बीएनपी लीडर की घर वापसी को लेकर पूर्व राजदूत केपी फैबियन ने आईएएनएस के साथ खास बातचीत की।

लंदन से बीएनपी लीडर तारिक रहमान के लौटने पर, पूर्व राजदूत केपी फैबियन ने कहा, "वह 17 साल बाद लंदन से आत्म-निर्वासन से लौटे हैं। उनकी मां, खालिदा जिया, बहुत बीमार हैं और उन्हें उनके राजनीतिक वारिस के तौर पर देखा जा रहा है। बड़े संदर्भ में, 1990-91 में सैन्य शासन खत्म होने के बाद से, बांग्लादेश में दो बड़े राजनीतिक परिवारों के खानदानों के बीच तनाव देखा गया है। एक की नेता खालिदा जिया हैं, जो पूर्व राष्ट्रपति जनरल जियाउर रहमान की विधवा हैं, जिनकी 1981 में हत्या कर दी गई थी। दूसरी नेता शेख हसीना हैं, जो देश के पिता शेख मुजीबुर्र रहमान की बेटी हैं, जिनकी अगस्त 1975 में हत्या कर दी गई थी।"

बांग्लादेश में आगामी आम चुनाव में बीएनपी के प्रदर्शन को लेकर पूर्व राजदूत ने कहा, "मैंने पहले भी कहा है कि बीएनपी के जीतने की संभावना है, लेकिन मैं दोहराता हूं कि किसी भी चुनाव के नतीजे के बारे में पक्के तौर पर भविष्यवाणी करना बेवकूफी है। हालांकि, अगर बीएनपी जीतती है, तो मेरा मानना ​​है कि भारत के साथ रिश्ते बेहतर होने की संभावना है। यह सच है कि तारिक रहमान ने कल कहा था, 'न दिल्ली न पिंडी,' मतलब न नई दिल्ली न रावलपिंडी, पहले बांग्लादेश। यह एक उम्मीदवार के लिए एक अपीलिंग बयान है।"

तारिक रहमान गुरुवार की सुबह साढ़े ग्यारह बजे के करीब ढाका एयरपोर्ट पर पहुंचे, और पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। इसके बाद उन्होंने रैली में भी हिस्सा लिया और अपनी मां, खालिदा जिया, से मुलाकात करने के लिए अस्पताल पहुंचे। रहमान के साथ उनकी पत्नी और बेटी भी आई हैं।

सुरक्षा व्यवस्था के लिए तारिक रहमान ने मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस से बात की और धन्यवाद किया। रैली को संबोधित करने के दौरान उन्होंने कहा, "आज बांग्लादेश के लोग अपनी बात कहने का हक वापस पाना चाहते हैं। वे अपना लोकतांत्रिक हक वापस पाना चाहते हैं। अब समय आ गया है कि हम सब मिलकर देश बनाएं। यह देश पहाड़ी और मैदानी इलाकों के लोगों, मुसलमानों, हिंदुओं, बौद्धों और ईसाइयों का है। हम एक सुरक्षित बांग्लादेश बनाना चाहते हैं, जहां हर औरत, आदमी और बच्चा घर से निकलकर सुरक्षित वापस आ सके।"

--आईएएनएस

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