बिटुमेन इमल्शन भारत की 2070 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने में मदद करेगा : हर्ष मल्होत्रा

बिटुमेन इमल्शन भारत की 2070 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने में मदद करेगा : हर्ष मल्होत्रा

नई दिल्ली, 18 जून (आईएएनएस)। केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग और कॉर्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने बुधवार को कहा कि 2047 तक विकसित भारत के विजन और 2070 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन को प्राप्त करने में बिटुमेन इमल्शन टेक्नोलॉजी अहम भूमिका निभाएगी।

केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-सीआरआरआई) और नूरियन के सहयोग से पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित बिटुमेन इमल्शन 2025 (आईसीबीई 2025) पर इंटरनेशनल क्रॉन्फ्रेंस में मल्होत्रा ने कहा कि मोदी सरकार के विजन 2047 में विकसित भारत और 2070 तक नेट जीरो लक्ष्य में बिटुमेन इमल्शन की अहम भूमिका होगी। यह एक उभरता हुआ क्षेत्र है और ठंड एवं बरसात के मौसम में इसका प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सकता है, यह त्वरित समाधान के लिए भी व्यवहार्य है।

उन्होंने आगे कहा कि सड़क बुनियादी ढांचा देश के सकल घरेलू उत्पाद में 3.2 प्रतिशत का योगदान देता है, इसने 650 करोड़ मानव दिवस रोजगार सृजित किया है और इसका प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ा है।

भारत में इस्तेमाल होने वाले कुल बिटुमेन में से 40 प्रतिशत आयात किया जाता है, यह एक चुनौती और अवसर दोनों है। इसमें एक और बड़ी चुनौती लागत-प्रभावशीलता में सुधार करना है। भारत में 6 मिलियन किलोमीटर का सड़क इन्फ्रास्ट्रक्चर है, पिछले 10 वर्षों में, हमने 60,000 किलोमीटर राजमार्ग बनाए हैं। कुल में से 7.5 मिलियन किलोमीटर ग्रामीण सड़कें हैं और पिछले 10 वर्षों में 3.5 लाख किलोमीटर ग्रामीण सड़कें बनाई गई हैं।

पीएचडीसीसीआई के सीईओ और महासचिव डॉ.रंजीत मेहता ने उद्योग के दृष्टिकोण को साझा करते हुए कहा कि भारत विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे के निर्माण में सबसे आगे है। हमारे पास प्रतिदिन 40 किलोमीटर सड़क बनाने की महत्वाकांक्षी योजना है और भारतमाला, सागरमाला और पीएम ग्राम सड़क योजना जैसी परियोजनाएं इसके उदाहरण हैं। यह सम्मेलन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हम कल की सड़कों को कल के तरीकों से नहीं बना सकते। इस कारण हमें तेज, बेहतर और टिकाऊ सड़कें बनाने के लिए बिटुमेन इमल्शन जैसी तकनीकों की आवश्यकता है और इसका उपयोग शहर की सड़कों के लिए भी किया जाना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि भारत का लक्ष्य 2070 तक नेट जीरो बनना है, इसलिए यह सड़क निर्माण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हमें इस लक्ष्य का समर्थन करने के लिए ग्रीन टेक्नोलॉजी को अपनाने की आवश्यकता है।

सीएसआईआर-सीआरआरआई के निदेशक प्रो. मनोरंजन परिदा ने कहा कि सीएसआईआर-सीआरआरआई ऐसी तकनीक उपलब्ध कराने में बहुत सक्रिय रहा है जो सस्टेनेबल प्रैक्टिस के एजेंडे में फिट बैठती है। साथ ही कहा कि माइक्रोसर्फेसिंग और सरफेस ड्रेसिंग अब केवल प्रयोगशाला अभ्यास नहीं हैं, वे स्केलेबल हैं।

--आईएएनएस

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