पटना, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की औराई विधानसभा सीट की गिनती उन क्षेत्रों में होती है, जहां हर चुनाव में समीकरण बदलता है। यह विधानसभा एक सामान्य वर्ग की सीट है, जिसमें औराई और कटरा प्रखंड की 16 ग्राम पंचायतें शामिल हैं।
यह क्षेत्र मुजफ्फरपुर शहर से करीब 30 किलोमीटर उत्तर में स्थित है और जिले की उत्तरी सीमा तक फैला है। इसका भूगोल पूर्वी चंपारण की सीमा तक जाता है। औराई का अधिकांश हिस्सा गंडक और बागमती नदियों की बाढ़ प्रभावित घाटियों में आता है, जहां हर साल बाढ़ ग्रामीण जीवन और खेती को प्रभावित करती है। उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी क्षेत्र को कृषि के लिए उपयुक्त बनाती है। यही कारण है कि यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से धान, मक्का और सब्जियों की खेती पर निर्भर करती है। स्थानीय लोगों की आय का महत्वपूर्ण स्रोत पशुपालन भी है।
भौगोलिक रूप से औराई का जुड़ाव मुजफ्फरपुर से सड़क मार्ग द्वारा है। आसपास के प्रमुख शहरों में सीतामढ़ी (45 किमी), दरभंगा (65 किमी), समस्तीपुर (70 किमी) और मोतिहारी (75 किमी) शामिल हैं। राजधानी पटना यहां से लगभग 95 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है।
औराई विधानसभा सीट का गठन 1967 में हुआ और तब से अब तक यहां 15 बार चुनाव हो चुके हैं, जिनमें 2009 का उपचुनाव भी शामिल है। इस सीट पर अब तक जनता पार्टी और जदयू ने तीन-तीन बार जीत दर्ज की है। वहीं, कांग्रेस, जनता दल, भाजपा और राजद ने दो-दो बार जीत दर्ज की है। इसके अलावा, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने भी एक बार सफलता हासिल की है।
इस सीट के चुनावी नतीजे स्पष्ट करते हैं कि औराई के मतदाताओं ने कभी किसी एक दल के प्रति स्थायी निष्ठा नहीं दिखाई, बल्कि समय-समय पर बदलते समीकरणों के आधार पर मतदान किया है।
साल 2009 में इस सीट पर हुए उपचुनाव के बाद से भाजपा के राम सूरत राय और राजद के सुरेंद्र कुमार यादव के बीच सीधी टक्कर रही है। 2009 में उपचुनाव में सुरेंद्र यादव ने जीत दर्ज की थी, लेकिन 2010 के विधानसभा चुनाव में राम सूरत राय ने उन्हें हराकर सीट अपने नाम कर ली। 2015 में राजद ने इस सीट को अपने पक्ष में कर ली। हालांकि, 2020 के चुनाव में राम सूरत राय ने वापसी की और फिर से जीत दर्ज की। पिछले एक दशक के चुनावी नतीजे से हम यह कह सकते हैं कि औराई की राजनीति महज दो चेहरे के इर्द-गिर्द घूमती रही है।
राजनीतिक समीकरणों की बात करें तो इस क्षेत्र में यादव, ब्राह्मण, भूमिहार, मुसहर और कुशवाहा समुदायों की निर्णायक भूमिका है। यादव और मुस्लिम मतदाता पारंपरिक रूप से राजद के पक्ष में रहते हैं, जबकि भूमिहार और ब्राह्मण वोटरों का झुकाव भाजपा की ओर रहता है। साथ ही, दलित और पिछड़े वर्गों में जदयू की पकड़ है।
विकास के मोर्चे पर यह विधानसभा क्षेत्र कई चुनौतियों से जूझ रहा है। हर साल गंडक और बागमती नदियों की बाढ़ ग्रामीण इलाकों को तबाह करती है, जिससे खेती और आवागमन दोनों प्रभावित होते हैं। सिंचाई व्यवस्था कमजोर, सड़कें खराब और स्वास्थ्य सेवाएं सीमित हैं। युवाओं के लिए रोजगार और शिक्षा के अवसरों की कमी भी बड़ा मुद्दा है। जनता की सबसे बड़ी मांग स्थायी बाढ़ समाधान, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं और गांवों तक सड़क संपर्क का विस्तार है।
2024 के चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, इस क्षेत्र की कुल जनसंख्या 5,39,688 है, जिसमें 2,83,745 पुरुष और 2,55,943 महिलाएं शामिल हैं। वहीं, कुल मतदाताओं की संख्या 3,20,357 है। इसमें 1,70,342 पुरुष, 1,50,006 महिलाएं और 9 थर्ड जेंडर वोटर शामिल हैं। ग्रामीण स्वरूप के कारण यहां की राजनीति खेती, बाढ़ और जातीय समीकरणों के इर्द-गिर्द घूमती है।
--आईएएनएस
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