बोकारो, 16 दिसंबर (आईएएनएस)। झारखंड के बोकारो में नेशनल इंडस्ट्रियल एग्जीबिशन कम सेमिनार का उद्घाटन हुआ। इस दौरान आईएसएम आईआईटी के डायरेक्टर प्रोफेसर सुकुमार मिश्रा ने कहा कि भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दृष्टि और नई दिशा को दर्शाती है।
आईएसएम आईआईटी के डायरेक्टर प्रोफेसर सुकुमार मिश्रा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि भारत की आर्थिक स्थिति तेजी से मजबूत हो रही है और वह दिन दूर नहीं जब भारतीय रुपया भी दुनिया में महत्वपूर्ण स्थान हासिल करेगा।
उन्होंने जोर दिया कि भारत को एकीकृत विनिर्माण क्षेत्र, नई कृषि अवधारणाएं, एआई कंट्रोल और क्वांटम प्रौद्योगिकी जैसी नई दिशा अपनानी होगी। ये पहलें भारत को वैश्विक आर्थिक ताकत बना सकती हैं और भारतीय रुपया जल्द ही अंतरराष्ट्रीय व्यापार में प्रमुख भूमिका निभाएगा।
प्रोफेसर सुकुमार मिश्र ने आगे कहा कि हमें केवल मौजूदा आर्थिक संकटों को देखकर निराश नहीं होना चाहिए। जीडीपी में कमी और डॉलर की बढ़ती ताकत को छोड़कर, देश को एक दीर्घकालिक और सुदृढ़ आर्थिक रणनीति अपनानी होगी। यह सिर्फ एक राजनीतिक दृष्टिकोण नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय आवश्यकता बन चुकी है।
उनके अनुसार, जब भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की थी, तब 'जय जवान जय किसान' का नारा दिया गया था, जिसे बाद में 'जय विज्ञान' और 'जय अनुसंधान' के साथ जोड़ा गया। अब, समय की आवश्यकता है कि हम ज्ञान को विज्ञान में और विज्ञान को प्रौद्योगिकी में परिवर्तित करें। इससे ही भारत फिर से विश्व में एक अग्रणी राष्ट्र बन सकता है।
प्रोफेसर मिश्रा ने उत्पादन और कृषि क्षेत्र की नई अवधारणाओं को देश की तकदीर बदलने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया। उनका कहना है कि 2045 तक भारत एक विकसित राष्ट्र बनकर उभरेगा और इसके लिए देश में हो रही प्रगति सकारात्मक संकेत देती है।
इस प्रकार, प्रधानमंत्री और विशेषज्ञों के अनुसार, भारत को अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करके आर्थिक क्षेत्र में एक नया इतिहास रचने का अवसर प्राप्त हो सकता है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत की सरकार का जोर है कि हम उस अर्थव्यवस्था को प्राप्त कर पाएंगे और भारत वैश्विक आर्थिक शक्ति बनेगा।
--आईएएनएस
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