ढाका, 21 दिसंबर (आईएएनएस)। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की मॉब लिंचिंग मामले में अब तक लगभग 10 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार की ओर से यह जानकारी सामने आई है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा जानकारी में मुहम्मद यूनुस ने कहा कि 10 में से सात को रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी) ने गिरफ्तार किया, जबकि तीन को पुलिस ने मामले में संदिग्ध के तौर पर गिरफ्तार किया।
उन्होंने कहा कि आरएबी और पुलिस ने इन लोगों को गिरफ्तार करने के लिए अलग-अलग जगहों पर ऑपरेशन चलाए। गिरफ्तार किए गए लोगों की उम्र 19 से 46 साल के बीच थी।
अंतरिम सरकार ने शुक्रवार को लिंचिंग की निंदा करते हुए कहा कि नए बांग्लादेश में ऐसी हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। इस घिनौने अपराध के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
पिछले साल अगस्त में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को हटाए जाने के बाद से बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं को कई हिंसक घटनाओं का सामना करना पड़ा है।
इससे पहले स्थानीय मीडिया की ओर से जानकारी साझा की गई थी कि युवक पर इस्लाम का अपमान करने का आरोप था। युवक की हत्या के बाद उसके शव को आग लगा दी गई। इस घटना के बाद से इलाके में तनाव बढ़ गया और ढाका-मैमनसिंह हाईवे पर कुछ देर के लिए ट्रैफिक रोक दिया गया। यह हिंसा गुरुवार रात को उपजिला के स्क्वायर मास्टरबाड़ी इलाके में पायनियर निट कम्पोजिट फैक्ट्री में हुई।
दीपू फैक्ट्री में काम करता था और मैमनसिंह के तारकंडा उपजिला का रहने वाला था। स्थानीय सूत्रों के हवाले से, बांग्लादेशी बंगाली मीडिया आउटलेट बार्टा बाजार ने बताया था कि दीपू पर वर्ल्ड अरेबिक लैंग्वेज डे पर फैक्ट्री में हुए एक इवेंट के दौरान इस्लाम और पैगंबर मुहम्मद के बारे में गलत टिप्पणी करने का आरोप था। ईशनिंदा के आरोप में गुस्साई भीड़ ने पीटकर उसकी हत्या कर दी।
रिपोर्ट्स के अनुसार, युवक की मौत के बाद हालात और उग्र हो गए। भीड़ शव को स्क्वायर मास्टरबाड़ी बस स्टैंड इलाके में ले गई, उसे रस्सी से एक पेड़ से बांध दिया, और नारे लगाते हुए उसमें आग लगा दी। इतना ही नहीं, मानवता को शर्मसार करने वाली इस घटना में भीड़ ने शव को ढाका-मैमनसिंह हाईवे पर ले जाकर फिर से उसे आग के हवाले कर दिया। इस घटना के बाद माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है।
--आईएएनएस
केके/एएस