राज्यसभा से 'केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक-2023' ध्वनि मत से पारित

New Delhi : Union Minister of Education Dharmendra Pradhan speaks in Rajya Sabha during winter session of Parliament in New Delhi on Wednesday, December 13, 2023.

नई दिल्ली, 13 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को राज्यसभा में 'केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2023' पेश किया। चर्चा के उपरांत यह विधेयक ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। इस विधेयक के कानून बनने पर तेलंगाना में एक केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना की जा सकेगी।

गौरतलब है कि लोकसभा पहले ही इस विधेयक को पारित कर चुकी है। केंद्र सरकार के मुताबिक तेलंगाना में बनने वाला यह केंद्रीय विश्विविद्यालय आदिवासी युवाओं को उच्च शिक्षा प्रदान करने और रिसर्च फैसिलिटी के लिए बनाया जाना है। इसके अलावा भी विभिन्‍न राज्‍यों में केंद्रीय विश्‍वविद्यालयों की स्‍थापना के लिए 'केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक-2023' पारित किया गया है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के मुताबिक ये विधेयक राज्य-व्यापी क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के साथ, विशेष रूप से तेलंगाना में स्थापित होने वाले प्रस्तावित "सम्मक्का सरक्का केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय" के लिए द्वार खोलता है। इसे विशेषकर जनजातीय समुदाय के लिए बेहतर अनुसंधान और उच्च शिक्षा के केंद्र के रूप में बड़ा कदम माना जा रहा है।

बुधवार को राज्यसभा में विपक्ष द्वारा किए गए वाॅकआउट के बावजूद इसपर चर्चा हुई, जिसके बाद ये बिल पारित हुआ। विधेयक में मुख्य तौर पर जनजातीय विश्वविद्यालय स्थापित करने का प्रावधान है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के मुताबिक 'सम्मक्का सरक्का केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय' पर लगभग 900 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। यह विधेयक केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 में संशोधन का प्रावधान है, जो विभिन्‍न राज्‍यों में शिक्षण और अनुसंधान के लिए केंद्रीय विश्‍वविद्यालयों की स्‍थापना से संबंधित है।

केंद्र का मानना है कि इससे भारत की जनजातीय आबादी को उच्‍चतर शिक्षा और अनुसंधान की सुविधाएं प्राप्‍त होगी। आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 में प्रावधान है कि केंद्र सरकार तेलंगाना राज्य में एक जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना करेगी। केंद्र सरकार के मुताबिक नया विश्वविद्यालय आम लोगों की पहुंच उच्च शिक्षा तक और अधिक बढ़ाएगा। साथ ही इससे शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।

शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि यह जनजातीय आबादी के लाभ के लिए संस्कृति और पारंपरिक ज्ञान प्रणाली में निर्देशात्मक और अनुसंधान सुविधाएं प्रदान करेगा। उच्च शिक्षा और उन्नत ज्ञान के रास्तों को भी बढ़ावा देगा। यह नया विश्वविद्यालय अतिरिक्त क्षमता भी तैयार करेगा और क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने का प्रयास करेगा।

राज्यसभा द्वारा पारित किया गया यह विधेयक राष्ट्रपति की अनुमति के उपरांत कानून की शक्ल ले लेगा। लोकसभा में यह विधेयक पहले ही पारित हो चुका है। इस विधेयक का लोकसभा में विपक्षी पार्टियों ने समर्थन किया था। शिवसेना के राहुल शेवाले ने कहा था कि इससे क्षेत्रीय आकांक्षाएं पूरी होने में मदद मिलेगी।

--आईएएनएस

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