वाराणसी, 23 अगस्त (आईएएनएस)। बनारस लोकोमोटिव वर्क्स (बीएलडब्ल्यू) ने रेलवे ट्रैकों के बीच भारत की पहली रिमूवेबल सोलर पैनल प्रणाली स्थापित की, जो भारतीय रेलवे के नवीकरणीय ऊर्जा मिशन में एक मील का पत्थर है। बनारस लोकोमोटिव वर्क्स (बीएलडब्ल्यू) के जीएम नरेश पाल सिंह ने इस संबंध में जानकारी दी है।
बनारस लोकोमोटिव वर्क्स (बीएलडब्ल्यू) ने ऑपरेशनल रेलवे ट्रैक के बीच देश का पहला रिमूवेबल सोलर पैनल सिस्टम स्थापित करके इतिहास रच दिया है, जो नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। नरेश पाल सिंह ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि 2017 से हम पूरी तरह से इलेक्ट्रिक इंजनों पर स्विच कर चुके हैं। इसका कारण यह है कि भारतीय रेलवे को 100 प्रतिशत विद्युतीकरण की ओर ले जाने के लिए एक नीतिगत निर्णय लिया गया था। परिणामस्वरूप, डीजल इंजनों का उत्पादन बंद कर दिया गया था। वर्तमान में निर्मित किए जा रहे डीजल इंजन बड़े पैमाने पर निर्यात या गैर-रेलवे ग्राहकों के लिए हैं।
उन्होंने कहा कि हमलोग पर्यावरण क्षेत्र में काम कर रहे हैं। हमारी यूनिट बीएलडब्ल्यू के तहत 40 प्रतिशत फॉरेस्ट एरिया आता है। 1.5 लाख पेड़ हैं और इस साल 5 हजार और पौधे लगाएंगे। ये जीरो यूनिट डिस्चार्ज है। एनवायरमेंटल के साथ सोलर में भी अच्छा काम कर रहे हैं। हमलोग करीब 4.5 मेगावाट एनर्जी जनरेट करते हैं। सोलर से ही 20 प्रतिशत एनर्जी की जरूरत पूरी करते हैं। रेलवे ट्रैक पर भी सोलर पावर प्लांट लगाया गया है और सभी छतों पर सोलर पावर प्लांट लगाए गए हैं। बीएलडब्ल्यू को जो भी चैलेंज मिलता है, उसे हमलोग पूरा करने की कोशिश करते हैं।
बीएलडब्ल्यू के जीएम ने कहा कि हम लोग इलेक्ट्रिक लोको भी बना रहे हैं। पूरे देश में यह एक मात्र यूनिट है, जहां इलेक्ट्रिक और डीजल दोनों तरह के लोको बनते हैं। 2017 से इलेक्ट्रिक लोको पर ही काम कर रहे हैं। अभी जो डीजल लोको बन रहे हैं, वो सिर्फ एक्सपोर्ट या नॉन-रेलवे कस्टमर के लिए बनाए जा रहे हैं। अभी 174 लोको एक्सपोर्ट कर चुके हैं और नॉन-रेलवे कस्टमर के लिए 641 डीजल लोको बनाए गए हैं। अब तक कुल 8300 डीजल लोको बना चुके हैं। इलेक्ट्रिक और डीजल को मिलाकर 10860 लोको बना चुके हैं। अब अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेन का लोको बनाना लक्ष्य है।
--आईएएनएस
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