शोभा नायडू को पिता बनाना चाहते थे डॉक्टर, मां का मिला साथ तो दुनिया में बजाया ‘कुचिपुड़ी’ डांस का डंका

शोभा नायडू को पिता बनाना चाहते थे डॉक्टर, मां का मिला साथ तो दुनिया में बजाया ‘कुचिपुड़ी’ डांस का डंका

नई दिल्ली, 13 अक्टूबर (आईएएनएस)। पद्मश्री से सम्मानित प्रसिद्ध कुचिपुड़ी डांसर शोभा नायडू किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। उनकी नृत्य कला को देश ही नहीं, विदेशों में भी खूब सराहा गया। उन्होंने अमेरिका, ब्रिटेन, तुर्की, हांगकांग, मैक्सिको, वेनेजुएला और क्यूबा सहित कई देशों में शो कर कुचिपुड़ी को नई पहचान दिलाने का काम किया।

14 अक्टूबर को शोभा नायडू की पुण्यतिथि है। इस अवसर पर जानते हैं, उनसे जुड़ी कुछ अनसुनी बातों के बारे में।

दरअसल, शोभा नायडू का जन्म 1956 में आंध्र प्रदेश के विशाखापटनम में अनकापल्ली में हुआ था। उनके पिता चाहते थे कि शोभा एक डॉक्टर बनें और इसी कारण वह उनके डांसिंग के खिलाफ भी थे। हालांकि, डांसिंग के मामले में उन्हें मां का साथ मिला। आगे चलकर उन्होंने मशहूर कुचिपुड़ी गुरु स्वामी वम्पाति चिन्ना सत्यम से ट्रेनिंग ली।

इसी दौरान उन्हें कई फिल्मों के प्रस्ताव भी मिलने शुरू हो गए, लेकिन उन्होंने फिल्मों के बजाए अपने जीवन में शास्त्रीय नृत्य को चुना। शोभा ने अपने गुरु की कई नृत्य-नाटिकाओं में मुख्य भूमिकाएं निभाईं। उनके प्रदर्शन को भारत और विदेशों में भी काफी सराहा गया।

उन्होंने अमेरिका, यूके, यूएसएसआर, सीरिया, तुर्की, हांगकांग, इराक और कंबोडिया जैसे देशों में आयोजित हुए सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। इसके अलावा उन्होंने वेस्ट इंडीज, मैक्सिको, वेनेजुएला , ट्यूनीशिया और क्यूबा में सांस्कृतिक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भी किया।

देश-विदेश में कुचिपुड़ी का डंका बजाने के बाद उन्होंने साल 1980 में हैदराबाद में श्रीनिवास कुचिपुड़ी कला अकादमी की स्थापना की। कला के क्षेत्र में योगदान के लिए उन्‍हें साल 2001 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके साथ ही उन्हें आंध्र प्रदेश सरकार ने भी पुरस्कार से नवाजा।

उन्होंने अपने करियर के दौरान भारत और विदेशों के छात्रों को प्रशिक्षण भी दिया। वह करीब 40 सालों तक श्रीनिवास कुचिपुड़ी कला अकादमी की प्रमुख रहीं। 14 अक्टूबर 2020 को भारत के आठ शास्त्रीय नृत्यों में से एक कुचिपुड़ी को विश्वस्तर पर पहचान दिलाने वाली शोभा नायडू ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

--आईएएनएस

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