अयोध्या में राम मंदिर नए भारत का प्रतीक : राजनाथ सिंह

New Delhi: Defence Minister Rajnath Singh addresses during the release of the book 'Tryst with Ayodhya: Decolonisation of India' written by Balbir Punj , in New Delhi, Saturday, Jan. 13, 2024.(IANS/Qamar Sibtain)

नई दिल्ली, 13 जनवरी (आईएएनएस)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण नए भारत का प्रतीक है। श्रीराम को अपने जन्म स्थान पर पहुंचने में 500 सौ साल का समय लग गया। श्रीराम भारत की चेतना हैं और अयोध्या सांस्कृतिक चेतना का केंद्र बन रही है।

दरअसल, दिल्ली विश्वविद्यालय में डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट की ओर से मकर संक्रांति और लोहड़ी मिलन में प्रबुद्ध पत्रकार बलबीर पुंज की पुस्तक 'ट्रिस्ट विद अयोध्या : डिकोलोनाईजेशन ऑफ इंडिया' का विमोचन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजनाथ सिंह थे।

उन्होंने कहा कि रामराज्य का मतलब लोकमंगल की स्थापना करना और आतंक का अंत कर समतामूलक समाज की स्थापना करना है। श्रीराम युग पुरुष हैं, संस्कार पुरुष और मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। वे आदिवासी और स्त्री सम्मान के प्रतीक हैं। श्रीराम किसी विचारधारा से नहीं बंधे, बल्कि, वो सभी क्षेत्रों में आदर्श प्रस्तुत करते हैं। भगवान श्रीराम ने बिना किसी का हड़पे सभी को फलने-फूलने का अवसर दिया। राम पर सवाल उठाने वाले आज हाशिए पर चले गए हैं।

रक्षा मंत्री ने कहा कि आज भारत के पुनर्जागरण का समय है। आर्थिक, धार्मिक और सांस्कृतिक सभी क्षेत्रों में पुनर्जागरण हो रहा है। भारत विश्व की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और तेजी से विकास के पथ पर अग्रसर है।

विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय कार्य अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि 22 जनवरी को श्रीराम की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर मंदिर आंदोलन से जुड़े लोगों के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियों को भी अयोध्या में आमंत्रित किया गया है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि श्रीराम भारत के प्राण हैं। वह त्याग की मूर्ति हैं, जिन्होंने राजतिलक के अवसर पर सारा राजपाट त्याग दिया था। वे सदाचार, शील और दया के प्रतीक पुरुष हैं।

पुस्तक के लेखक बलबीर पुंज ने कहा कि भारत के मानस से यदि श्रीराम को निकाल दिया जाए तो भारत अफगानिस्तान बन जायेगा। उनके लिए मनुष्यता सर्वोपरि है।

शिक्षक संगठन के अध्यक्ष प्रो. अजय कुमार भागी ने राम की स्वीकार्यता और उनकी भारत की संस्कृति में उपलब्धता से अवगत कराया।

--आईएएनएस

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